भागलपुरः अखिल भारतीय संतमत सत्संग महासभा की ओर से 23 नवंबर को कुप्पाघाट स्थित महर्षि मेंहीं आश्रम में शांति व्यवस्था को लेकर बैठक करने के निर्णय के बाद एक बार फिर आश्रम में विवाद गहरा गया है. आश्रम में संन्यासी दो गुटों में बंटे हुए हैं. एक पक्ष आचार्यश्री एवं रमेश बाबा के पक्ष में है तो दूसरा गजानंद बाबा के पक्ष में.
गजानंद बाबा ने खुद को आश्रम से निकाले जाने की संभावना को देखते हुए आत्मदाह की धमकी दी है. उनका कहना है कि मैं 1996 से यहां रह रहा हूं. अभी तक कोई आरोप मुझ पर नहीं लगा है. यदि निकाला गया तो यहीं अनशन कर आत्म दाह कर लूंगा.इधर आश्रम के व्यवस्थापक स्वामी स्वरूपानंद बाबा ने कहा है कि आश्रम व संतमत के नियम पर जो भी नहीं चलेगा, उन्हें आश्रम से जरूर निकाल दिया जायेगा. यदि वे साधु के रूप में आश्रम में रहेंगे तो उन्हें क्यों निकाला जायेगा. हां उन्हें आश्रम की दूसरी शाखा में भेजा जा सकता है. कोई जरूरी नहीं है कि सभी संन्यासी कुप्पाघाट आश्रम में ही रहे.
इनको निकाले जाने का भय: गजानंद बाबा ने कहा कि महासभा की बैठक में सात सन्यासियों को निकालने का निर्णय लिया जायेगा. इसमें महेंद्र बाबा, बलराम बाबा, तेजनारायण बाबा, निरंजन बाबा, केदार बाबा, हरि शरण बाबा, गजानंद बाबा शामिल हैं.