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एमजीएम : 17 साल से फिजियोथेरेपी सेंटर बंद

सड़ रही है लाखों की मशीन 1986 में खुला, 96 से बंद है मरीज बाहर करा रहे हैं इलाज बाहर लगते हैं 200 रुपये रोजाना पैसे के अभाव में इलाज नहीं करा पाते हैं गरीब मरीज जमशेदपुर: एमजीएम अस्पताल का फिजियोथेरेपी सेंटर पिछले 17 साल से बंद है. वहां रखी लाखों की मशीन बर्बाद हो […]

सड़ रही है लाखों की मशीन

1986 में खुला, 96 से बंद है

मरीज बाहर करा रहे हैं इलाज

बाहर लगते हैं 200 रुपये रोजाना

पैसे के अभाव में इलाज नहीं करा पाते हैं गरीब मरीज

जमशेदपुर: एमजीएम अस्पताल का फिजियोथेरेपी सेंटर पिछले 17 साल से बंद है. वहां रखी लाखों की मशीन बर्बाद हो रही है. फिजियोथेरेपिस्ट के अभाव में यह सेंटर बंद है. अधीक्षक का कहना है कि उन्होंने कई बार पत्र लिख कर सरकार को जानकारी दी. मगर फिजियोथेरेपिस्ट की बहाली ही नहीं की गयी है. मजबूरन रोगी को बाहर जाकर इलाज कराना पड़ रहा है. हड्डी व नस से जुड़ी बीमारी के इलाज के लिए हर माह सैकड़ों लोग आते हैं. इनमें कई रोगियों को फिजियोथेरेपी की जरूरत पड़ती है. यहां सुविधा नहीं रहने की वजह से उन्हें बाहर इलाज कराना पड़ता है. बाहर में उनसे 200 रुपये रोजाना तक वसूले जाते हैं. गरीब चाह कर भी इलाज नहीं करा पाते हैं.

भागवत प्रसाद देखते थे

अधीक्षक ने बताया कि आज तक इसके लिए कोई डॉक्टर पदस्थापित नहीं किया गया है. पहले भागवत प्रसाद इस सेंटर को देखते थे. 1996 में उनका स्थानांतरण रांची कर दिया गया. उसके बाद से आज तक इस सेंटर में फिजियोथेरेपिस्ट को पदस्थापित नहीं किया गया. जबकि कोल्हान में लाखों मरीज इस अस्पताल पर निर्भर हैं.

क्या होता है सेंटर में

किसी भी अस्पताल में आर्थो वार्ड का फिजियोथेरेपी सेंटर एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है. अगर किसी व्यक्ति का हाथ, पैर टूट गया है. तो उसका प्लास्टर किया जाता है, जो दो से तीन माह तक रहता है. प्लास्टर खुलने के बाद उसके हाथ या पैर का ज्वाइंट जाम हो जाता है. जिसे खोलने के लिए फिजियोथेरेपी बहुत जरूरी है.

पकड़े गये हैं दलाल

एमजीएम में फिजियोथेरेपी सेंटर नहीं खुलने का लाभ दलाल उठा रहे हैं. वे जरूरतमंदों को प्राइवेट सेंटर ले जाते हैं. वहां उनसे मनमाना पैसा वसूलते हैं. कई बार अस्पताल से मरीजों को ले जाते हुए दलाल पकड़े गये हैं, जिन्हें चेतावनी देकर छोड़ा गया है.

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