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पेट्रोलियम सब्सिडी का कुछ हिस्सा अगले वित्त वर्ष को स्थानांतरित कर सकती है सरकार

नयी दिल्ली: रेटिंग एजेंसी फिच ने आज कहा कि सरकार चालू वित्त वर्ष में बढ़ती पेट्रोलियम सब्सिडी का कुछ हिस्से की अदायगी अगले वित्त वर्ष के लिए टाल सकती है.सरकार ने वित्त वर्ष 2013-14 में 65,000 करोड़ रुपये पेट्रोलियम सब्सिडी आवंटित की थी. इसमें से 45,000 करोड़ रुपये पिछले वित्त वर्ष की सब्सिडी जरुरतों को […]

नयी दिल्ली: रेटिंग एजेंसी फिच ने आज कहा कि सरकार चालू वित्त वर्ष में बढ़ती पेट्रोलियम सब्सिडी का कुछ हिस्से की अदायगी अगले वित्त वर्ष के लिए टाल सकती है.सरकार ने वित्त वर्ष 2013-14 में 65,000 करोड़ रुपये पेट्रोलियम सब्सिडी आवंटित की थी. इसमें से 45,000 करोड़ रुपये पिछले वित्त वर्ष की सब्सिडी जरुरतों को पूरा करने के लिये पहले ही पेट्रोलियम विपणन कंपनियों को देने के लिये उपयोग किये जा चुके हैं.

पेट्रोलियम विपणन कंपनियों को लागत से कम भाव पर पेट्रोलियम उत्पाद बेचने के कारण होने वाले नुकसान की भरपाई के लिये सरकार के पास अब 20,000 करोड़ रुपये बचे हैं. फिच ने एक रिपोर्ट में कहा, ‘‘यह राशि सब्सिडी बिल की भरपाई करने के लिये अपर्याप्त है और यह संभव है कि सरकार को अगले वित्त वर्ष के बजट से 45,000 करोड़ रुपये लेने पड़े.’’ चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-सितंबर अवधि में तीन खुदरा तेल कंपनियों..आईओसी, एचपीसीएल तथा बीपीसीएल..को डीजल, रसोई गैस(एलपीजी)तथा केरोसिन की बिक्री लागत से कम भाव पर करने से 60,907 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.

अकेले डीजल पर 28,300 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.फिच ने कहा, ‘अगली दो तिमाहियों में पेट्रोलियम कंपनियों को 40,000..40,000 करोड़ रुपये के नुकसान के अनुमान के आधार पर पूरे वित्त वर्ष 2013-14 में यह 1,40,000 करोड़ रुपये होने का अनुमान है.’’ वित्त वर्ष 2012-13 में पेट्रोलियम कंपनियों को लागत से कम मूल्य पर ईंधन की बिक्री से 1,61,000 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था.खुदरा पेट्रोलियम कंपनियां डीजल तथा रसोई गैस लागत से कम भाव पर बेचती हैं. इस घाटे की भरपाई सरकार की तरफ से मिलने वाली नकद सब्सिडी के साथ गेल तथा ओएनजीसी जैसी तेल उत्खनन कंपनियों से मिलने वाली मदद के जरिये की जाती है.

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