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काम करना चाहता हूं, पर मजबूरियां भी

हेमंत सोरेन को झारखंड के मुख्यमंत्री का पद संभाले सिर्फ 126 दिन हुए हैं. झारखंड को एक समृद्ध-विकसित राज्य बनाने का उनका अलग सपना है. हमारे वरीय संवाददाता सुनील चौधरी ने जब उनसे विशेष बातचीत की, तो लगा कि मुख्यमंत्री काम करना चाहते हैं, पर स्थितियां ऐसी बना दी जाती हैं कि वे कुछ कर […]

हेमंत सोरेन को झारखंड के मुख्यमंत्री का पद संभाले सिर्फ 126 दिन हुए हैं. झारखंड को एक समृद्ध-विकसित राज्य बनाने का उनका अलग सपना है. हमारे वरीय संवाददाता सुनील चौधरी ने जब उनसे विशेष बातचीत की, तो लगा कि मुख्यमंत्री काम करना चाहते हैं, पर स्थितियां ऐसी बना दी जाती हैं कि वे कुछ कर नहीं पाते. उनकी मजबूरियां भी दिखती हैं. इसके बावजूद झारखंड धीरे ही सही, कुछ आगे बढ़ा है. प्रस्तुत है मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से बातचीत के मुख्य अंश.

सवाल : जनता को आपकी सरकार से काफी उम्मीदें हैं, जनता की उम्मीदों पर यह सरकार कितना खरा उतरी है. स्थापना दिवस पर सरकार जनता के लिए कौन सी बड़ी योजना आरंभ करने जा रही है?

मुख्यमंत्री : मुङो कार्यकाल कितने दिनों का मिला है, आपको मालूम है. जो यहां के राजनीतिक हालात हैं, इतने दिन में क्या उम्मीद कर सकते हैं, खुद अंदाजा लगा सकते हैं. इसके बावजूद मैं अपना दायित्व-कर्तव्य निभाने का प्रयास कर रहा हूं. उम्मीद पर कितना उतरा, यह तो जनता ही तय करेगी. रही बात स्थापना दिवस को लेकर, तो बेहतर होगा कि इसी दिन जनता देखेगी कि जनता के लिए बनी सरकार जनता के लिए क्या करने जा रही है. बहुत सारी नयी योजनाएं तैयार की गयी हैं. उसी दिन योजनाओं का खुलासा हो तो मुङो ज्यादा खुशी होगी.

सवाल : आप अपनी सरकार के कामकाज से कितना संतुष्ट हैं? यदि नंबर देना हो तो 10 में कितना नंबर आप देंगे?

मुख्यमंत्री : एक परीक्षार्थी अगर अपनी कॉपी पर खुद नंबर देने लगे, तो वह सबसे मूर्ख विद्यार्थी होगा. जनता तय करेगी कि मुङो कितना मार्क्‍स मिलना चाहिए. मैं अपने आप को कैसे मार्क्‍स दे सकता हूं. मैं तो परीक्षा में बैठा हुआ हूं. अब आगे जनता को देखना है. मैं पास होता हूं या फेल, समय पर पता चलेगा.

सवाल : राज्य का गठन आदिवासियों के विकास के नाम पर हुआ था. अब तक जो विकास हुए हैं क्या आप उससे संतुष्ट हैं?

मुख्यमंत्री : यह सच है कि झारखंड प्रदेश आदिवासी बहुल क्षेत्र है, लेकिन सरकार सभी समुदायों के लिए काम करती है. जहां तक आदिवासियों के विकास की बात है, तो अब विकास की लकीर गांव से शुरू होगी और शहर तक जायेगी. आज भी गांवों में आदिवासी बड़ी तादाद में हैं.

गांवों के विकास मॉडल को ही बेहतर करें, तो ज्यादा अच्छा होगा. पूर्व में आदिवासियों का विकास क्यों नहीं हुआ, इस पर चर्चा करना बेकार है. मैं समझता हूं कि काम करके दिखाना ज्यादा बेहतर होता है. मैं उसमें लगा हूं. अपने सीमित समय में जरूर उन सवालों का जवाब देने में सक्षम हो पाऊंगा, जो आज के दिन में सरकार नहीं दे पाती है.

सवाल : राज्य सरकार के कुल राजस्व में (सेंट्रल और स्टेट मिला कर) राज्य का हिस्सा 55 प्रतिशत से घट कर 42 प्रतिशत आ गया है. इसमें सुधार के लिए क्या उपाय किये जा रहे हैं?
मुख्यमंत्री : टैक्स में राज्य सरकार की जो हिस्सेदारी होती है, वह फामरूले के तहत होती है. यानी आप जितना अधिक राजस्व वसूलेंगे, उसकी हिस्सेदारी भी उतना ही अधिक मिलेगी. दुर्भाग्य से राज्य में जब भी राजस्व बढ़ाने के उपाय किये जाते हैं, तो कुछ लोग राजनीतिक एजेंडे बना कर लोग सड़कों पर उतर जाते हैं, लोगों को दिग्भ्रिमित करते हैं. फामरूला जो बना हुआ है, उस पर तो पूरा देश फॉलो करता है. विकास के लिए पैसे की जरूरत है. चाहे आप खुद से जेनरेट करें या भारत सरकार की हिस्सेदारी में आपकी अधिक हिस्सेदारी हो. आप खुद भी नहीं कमायेंगे, भारत सरकार के फामरूले से भी छूटेंगे, तो निश्चित रूप से आप विकास से पीछे रह जायेंगे. इसमें एक ऐसी सोच लानी होगी कि हम रेवेन्यू जेनरेट करें और केंद्र में अपनी हिस्सेदारी भी बढ़ायें. सरकार गंभीर है और प्रयास करेगी कि रेवेन्यू जेनरेट हो, राज्य की हिस्सेदारी बढ़े.

सवाल : राज्य में अभी भी भारी पैमाने पर रिक्तियां हैं. कब तक बहाली होगी?|
मुख्यमंत्री : विभागों को सख्त निर्देश है कि जल्द से जल्द रिक्त पदों को भरें, ताकि बेरोजगारों को रोजगार मिल सके. 15 नवंबर से इसकी शुरुआत हो जायेगी.

सवाल : बहाली की बात आती है, तो स्थानीयता का मुद्दा उठ जाता है. आखिर कब तक स्थानीय नीति बन जायेगी?
मुख्यमंत्री : स्थानीय नीति बननी चाहिए. इसको लागू करने से ही यहां के लोगों को मदद मिलेगी, लाभ मिलेगा. लेकिन कई लोग इसको राजनीतिक रंग देने का प्रयास करते हैं और इस पर राजनीति करने का प्रयास करते हैं. नतीजा सरकार को कई विषयों पर विचार करना पड़ता है.

सवाल : यानी स्थानीय नीति राजनीति का शिकार हो गयी?
मुख्यमंत्री : आज के दिन में यही कहा जा सकता है. यही मान कर चलें, लेकिन मेरा प्रयास होगा कि मैं इसकी रक्षा करूं.

सवाल : टेट परीक्षा में भी भोजपुरी और मगही को लेकर विवाद उठा था, इस पर आप क्या कर रहे हैं?
मुख्यमंत्री : यह एक विभागीय विषय है. इसमें क्या है, क्या नहीं है, यह तो विभाग के स्तर पर ही बताया जा सकता है. मैंने विभाग से जानकारी मांगी है. जवाब आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है. 15 नवंबर तक सब स्पष्ट हो जायेगा.

सवाल : सरकार विस्थापितों के लिए पुनर्वास नीति क्यों नहीं बनाती?
मुख्यमंत्री : इस विषय पर सरकार गंभीर है. केंद्रीय भूमि अधिग्रहण बिल भी आ चुका है. इन सबकी स्टडी चल रही है. जल्द ही इस पर निर्णय ले लिया जायेगा. फिलहाल कुछ कहना उचित नहीं है.

सवाल : झारखंड भूमि के मामले में सीएनटी एक्ट और एसपीटी एक्ट से बंधा हुआ है, ऐसे में विकास की रणनीति किस प्रकार बनेगी. उद्योगों या शैक्षणिक संस्थानों को भूमि कैसे मिलेगी?

मुख्यमंत्री : मुङो नहीं लगता कि विकास में सीएनटी, एसपीटी एक्ट कहीं अवरोधक है. इसकी व्याख्या लोगों ने सही ढंग से नहीं की है. क्या सीएनटी और एसपीटी एक्ट यह कहता है कि उद्योग नहीं लगेंगे. यदि ऐसा है, तो फिर यहां कैसे बड़े-बड़े उद्योग लगे और चल रहे हैं. चाहे कोल इंडिया हो या कुछ और कंपनियां, सब तो चल ही रही हैं.

सवाल : राज्य सरकार ने लैंड बैंक बनाने की योजना बनायी थी, पर अबतक कुछ नहीं हुआ है?
मुख्यमंत्री : हुआ नहीं या लोगों ने कभी होने देने का प्रयास नहीं किया. आप इंतजार करें, जल्द ही यह भी होगा. लैंड बैंक बनेगा, छोटे और मंझोले उद्योगों को जमीन भी मिलेगी.

सवाल : 13 वर्ष बीत गये, पर झारखंड आंदोलनकारियों को उचित सम्मान नहीं मिला है. सरकार इनके लिए क्या सोच रही है?
मुख्यमंत्री : आंदोलनकारियों को सम्मान देने का प्रयास हो रहा है. गुवा का उदाहरण सामने है. आयोग के काम में बाधा आयी थी. उसे दूर कर लिया गया है.

सवाल : लोकसभा चुनाव में झामुमो और कांग्रेस का गंठबंधन है. सरकार में राजद भी शामिल है. लोकसभा चुनाव में राजद की क्या भूमिका होगी? राजद भी यदि सीट मांगेगा, तो आप कैसे सीट देंगे?

मुख्यमंत्री : काल्पनिक बातों पर क्या कहा जा सकता है. क्या होगा, नहीं होगा, कैसे कहें. निर्दलीय भी सहयोग कर रहे हैं. अब वो भी लोकसभा चुनाव लड़ेंगे, तो मैं क्या कर सकता हूं. जहां तक समझौते की बात है तो सीटों को लेकर कांग्रेस और झामुमो के बीच समझौता हुआ है. यही सच है.
सवाल : झारखंड में भाषा और संस्कृति बचाने के लिए हमेशा आंदोलन होता रहा है. रांची विवि में जनजातीय एवं भाषा विभाग लगातार उपेक्षा का शिकार है. मात्र दो लोग ही मिल कर नौ भाषा पढ़ाते हैं. अन्य विवि में यह भी नहीं है. भाषा और संस्कृति संरक्षण के लिए आपके पास क्या योजना है?

मुख्यमंत्री : भाषा संस्कृति को बचाने के लिए ही डॉ रामदयाल मुंडा ऑडिटोरियम को स्थापित किया गया है. पूरे राज्य की संस्कृति और भाषा की झलक आपको उस कैंपस में देखने को मिलेगी. यह चालू हो गया है. इसमें शोध भी होगा. यहां की सामाजिक, सांस्कृतिक और लोगों के चेहरे की झलक वहां दिखेगी. धीरे-धीरे हम आगे बढ़ेंगे. जितने भी विश्वविद्यालय या स्कूल हैं वहां भाषायी शिक्षकों की नियुक्ति की जायेगी. इसके लिए प्रक्रिया आरंभ करने का निर्देश दिया गया है.

सवाल : राज्य के विकास के लिए इंफ्रास्ट्रर का होना बहुत जरूरी माना जाता है. मगर राज्य में सड़क, बिजली और दूरसंचार की स्थिति 13 साल बाद भी संतोषजनक नहीं हो पायी है. इस दिशा में सरकार क्या कर रही है.
मुख्यमंत्री : इंफ्रास्ट्रर आज जो भी दिखता है, वह शहर के इर्द-गिर्द दिखता है. हम इंफ्रास्ट्रर के विकास में भी कई महत्वपूर्ण कदम उठायेंगे. इसका लाभ भी लोगों को मिलेगा.

सवाल : महिलाओं और युवाओं के लिए क्या कोई योजना है?
मुख्यमंत्री : योजनाएं बहुत हैं, समय आने पर खुलासा किया जायेगा. विकास के हर क्षेत्र में काम करने की आवश्यकता है. सरकार की योजना है कि कोई छूटे नहीं. महिला आयोग के अध्यक्ष का पद खाली था, उस पर महुआ माजी को लाया गया है. उम्मीद है कि आनेवाले दिनों में काम तेजी से बढ़ेगा.

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