औरत, ईश्वर की बनायी सबसे खूबसूरत कलाकारी. औरत ही वह कड़ी है जो दो परिवारों को जोड़ती है. आनेवाली पीढ़ी को जन्म देने का सौभाग्य और वंश को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी भी औरतों की ही होती है.
औरत के कितने रूप होते हैं – मां, पत्नी, बहन, बेटी. प्रत्येक औरत अपने जीवन में हर रिश्ता बखूबी निभाती है. और अगर कोई रिश्ता निभाने में गलती हो गयी तो उसे कड़वे अनुभव से गुजरना पड़ता है. औरत के ऊपर सबकी खुशियों की जिम्मेदारी होती है. वह सबका ख्याल रखना जानती है, लेकिन उसकी खुशियों और जरूरतों का क्या?
घर में खाना भी बनने के बाद सबसे पहले मर्दो को परोसा जाता है. घर के सारे फैसले मर्द ही लेते हैं, औरतों से उनकी मरजी नहीं जानी जाती है. अपवाद छोड़ दें तो पुरुष प्रधान समाज में औरत का स्थान आज भी पैरों की जूती के ही बराबर है. ऐसा कब तक?
चंदा साह, देवघर