22.2 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

ट्यूमर कोशिकाओं की वृद्धि रोकने में नीम है असरदार

नयी दिल्ली : दांतों का मंजन और दूसरी दवाइयां तो नीम से बनती आयी हैं, लेकिन भारतीय डॉक्टरों का दावा है कि इससे कैंसर का इलाज भी संभव है. चूहों पर प्रयोग के बाद उनका उत्साह और बढ़ा है.नीम के औषधीय गुण तो सदियों से जगजाहिर हैं. अब तक इसकी पत्तियों का इस्तेमाल रोजमर्रा के […]

नयी दिल्ली : दांतों का मंजन और दूसरी दवाइयां तो नीम से बनती आयी हैं, लेकिन भारतीय डॉक्टरों का दावा है कि इससे कैंसर का इलाज भी संभव है. चूहों पर प्रयोग के बाद उनका उत्साह और बढ़ा है.नीम के औषधीय गुण तो सदियों से जगजाहिर हैं. अब तक इसकी पत्तियों का इस्तेमाल रोजमर्रा के जीवन में होनेवाली छोटी-मोटी बीमारियों के इलाज के अलावा जीवाणुओं और कीटाणुओं से लड़ने में किया जाता है.

लेकिन अब कोलकाता स्थित चितरंजन नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट (सीएनसीआइ) के वैज्ञानिकों ने नीम को कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी के खिलाफ लड़ने का एक असरदार हथियार बनाने का प्रयास कर रहे हैं. चूहों पर इसके सफल परीक्षण के बाद अब जल्दी ही मनुष्यों पर भी इसका परीक्षण किया जायेगा.

वैज्ञानिकों की टीम

कोलकाता स्थित संस्थान के वैज्ञानिकों की एक टीम ने लंबे अरसे तक चले परीक्षण के बाद छपे अपने दो पर्चो में बताया है कि नीम के पत्तियों से निकलनेवाले एक खास किस्म के संशोधित प्रोटीन नीम लीफ ग्लाइकोप्रोटीनयानी एनएलजीपी के जरिये चूहों में ट्यूमर कोशिकाओं की वृद्धि रोकने में कामयाबी मिली है. यह प्रोटीन कैंसर से सीधे लड़ने की बजाय ट्यूमर से निकलनेवाले जहरीले व घातक रसायनों के खिलाफ शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत कर देता है. कैंसर कोशिकाएं धीरेधीरे विकसित होने पर प्रतिरोधक कोशिकाओं पर नियंत्रण कर लेती हैं. ऐसे में रोग से बचाने की जगह यह कोशिकाएं उल्टे कैंसर को फैलने में सहायता देने लगती हैं. प्रतिरोधक कोशिकाओं कैंसर जैसी घातक बीमारियों से शरीर की रक्षा करती हैं. मूल रूप से एनएलजीपी ट्यूमर की सूक्ष्म पारिस्थित में ऐसा बदलाव लाता है, जिससे विकास रुक जाता है.

कैसा है परीक्षण

ह्यूमन इम्यूनोलॉजीनाम की मेडिकल पत्रिका में प्रकाशित शोध रिपोर्ट में इन वैज्ञानिकों ने सर्वाइकल कैंसर से पीड़ित 17 मरीजों की कैंसर कोशिकाओं पर किये प्रयोग के नतीजे का भी खुलासा किया है. इस अध्ययन से उन्हें नीम की पत्तियों की सहायता कैंसर के विकास पर अंकुश लगाने तरीके का पता चल गया. बराल कहते हैं, इससे पहले के कुछ वैज्ञानिक अध्ययनों में कहा गया था कि नीम प्रजनन तंत्र पर प्रतिकूल असर डाल सकता है. लेकिन हमने अपने शोध के जरिये इस संभावना को खारिज कर दिया है.

आगे की राह

बराल बताते हैं कि उनकी टीम अब इस प्रोटीन की और बारीकी से जांच करके पता लगायेगी कि इसका कौन सा तत्व सही मायने में सक्रिय है. इसकी वजह यह है कि इस प्रोटीन में तीन हिस्से हैं. टीम की कोशिश यह पता लगाने की है कि यह प्रोटीन रेजिस्टेंट कैंसर के मामलों में भी प्रभावशाली होगा या नहीं. वह कहते हैं, एक खास चरण के बाद कैंसरवाले ट्यूमर लाइलाज हो जाते हैं. उन पर रेडियोथेरेपी या कीमोथेरेपी का भी कोई असर नहीं होता. बराल को उम्मीद है कि नीम लीफ ग्लाइकोप्रोटीन ऐसे मामलों में कैंसर के इलाज को प्रभावशाली बना सकेगा.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें