स्थापना दिवस -6
– मानव संसाधन के मामले में भी बेहतर है झारखंड
स्थापना दिवस श्रृंखला की छठी कड़ी में आज आप पढ़ें विजय कुमार शर्मा के विचार. फिलहाल वे यूनियन टेरिटरी सिविल सर्विसेज में अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं. रांची के रहनेवाले विजय का मानना है कि गंभीर प्रयास से झारखंड को बेहतर राज्य बना सकते हैं.
बचपन से झारखंड की मांग, उठते–दबते, फिर उठते देखा. तब लगता था अलग राज्य होगा, तो यह राज्य वाकई देश का अव्वल राज्य होगा. फिर वर्ष नवंबर, 2000 में बिहार से अलग होकर झारखंड बना.
हालांकि, मुझे झारखंड की सेवा करने का मौका नहीं मिला है. परंतु, सदा यह कामना करता रहता हूं कि मेरा राज्य तरक्की के मानदंड को स्थापित करे. झारखंड की राजनीतिक अस्थिरता देख कर दुख भी होता है. यह ग्राफ और भी नीचे जाता दिख रहा है. मेरा मानना है कि झारखंड राज्य असीम संभावनाओं से भरा प्रदेश है. इस राज्य को प्रकृति ने अपने स्नेह का भाजन बनाया है.
यह राज्य न केवल प्राकृतिक संसाधनों के मामलों में धनी है, बल्कि प्राकृतिक आपदासे भी मुक्त है. कमोबेश मानव संसाधन के मामले में भी राज्य की स्थिति अच्छी रही है.
जब संसाधनों से परिपूर्ण इस राज्य का निर्माण हुआ, तो यह अनुमान लगाया गया कि यह भारत का सर्वाधिक विकसित राज्य बनेगा. उम्मीदें बढ़ गयी थीं. लगा कि अब यहां सब कुछ ठीक हो जायेगा. परंतु दोषपूर्ण नीतियों, कमजोर क्रियान्वन, राजनीतिक अवसरवादिता एवं अस्थिरता, दिशाहीन नौकरशाही के कारण राज्य पिछड़ता ही चला गया है.
सामाजिक–आर्थिक विकास के सूचकांक पर भी राज्य की स्थिति बहुत संतोषजनक नहीं है. दूसरी ओर सफर में साथ चले छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड में स्थितियां सुधरती जा रही हैं.