– रविकांत साहू –
ठेठईटांगर में जंगली हाथियों का आतंक
40 घर ध्वस्त, 30 एकड़ में लगी फसल तबाह
सिमडेगा : ठेठईटांगर प्रखंड में पिछले एक पखवारे से जंगली हाथियों के आतंक से ग्रामीण परेशान हैं. एक दर्जन से अधिक गांव के लोग शाम होते ही अपना घर छोड़ कर आंगनबाड़ी केंद्र व पंचायत भवन में रात गुजारने को विवश हैं.
जंगली हाथियों के उत्पात से लोगों को जान-माल के साथ लाखों रुपये की क्षति हो चुकी है. जंगली हाथियों ने 40 घर को ध्वस्त कर दिया. 30 एकड़ खेत में लहलहाती धान की फसल को बरबाद कर दिया.
हाथियों को भगाने के लिए पाबुड़ा से एक टीम आयी थी. पर जंगली हाथियों ने टीम पर भी हमला कर दिया. जंगला हाथियों पर अब मशाल व पटाखे का भी असर नहीं हो रहा है. मशाल को देख कर हाथी और भी अक्रामक हो जा रहे हैं. वन विभाग के अधिकारियों ने कहा कि ग्रामीणों द्वारा बड़े पैमाने पर छेड़छाड़ के कारण ही हाथी काफी गुस्से में हैं.
गांवों में दहशत : क्षेत्र के जोराम, पताराटोली, राईबहार, खीजुरटांड़ सहित अन्य गांव के लगभग 200 ग्रामीण आंगनबाड़ी केंद्र व पंचायत भवन में रात को शरण ले रहे हैं. दिन भर घर में रहने के बाद ग्रामीण घर का सामान लेकर अपने परिवार के साथ रात गुजारने के लिए वहां चले जाते हैं. वहीं भय से लगभग आधा दर्जन गांव के लोग रतजगा कर रहे हैं.
प्रखंड के केरिया देवबहार, कहुपानी, राजाबासा, कोंदेडेगा, अलसंगा, जामपानी सहित अन्य कई गांव के 200 से अधिक लोग लगभग एक पखवाड़े से रात को सो नहीं पा रहे हैं. जिले के जलडेगा, बोलबा व ठेठईटांगर में हर वर्ष धान पकने के समय हाथी का प्रवेश होता है. ग्रामीणों का कहना है कि हर वर्ष इस प्रकार की समस्या से क्षेत्र के लोगों को जूझना पड़ता है, फिर वन विभाग के अधिकारी जंगली हाथी से ग्रामीणों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए कारगर उपाय नहीं करते.
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हाथी गुस्से में, सतर्क रहें ग्रामीण : डीएफओ
वन विभाग के डीएफओ विजय कुमार उरांव ने बताया कि छेड़छाड़ के कारण जंगली हाथी काफी गुस्से में है. ग्रामीण रात में किसी पक्के मकान में चले जायें. अपने कच्चे घर के सामने पुआल जला कर छोड़ दें, ताकि जंगली हाथी से घर को बचाया जा सके. वन विभाग द्वारा हाथियों को ओड़िशा की ओर भगाने का प्रयास किया जा रहा है.
ओझा- गुणी का भी सहारा
निराश ग्रामीण जंगली हाथियों को भगाने के लिए अब ओझा- गुणी का भी सहारा ले रहे हैं. किंतु यह भी करगार साबित नहीं हुआ. ग्रामीण अपने को भगवान भरोसे मान रहे है. ग्रामीणों का जीना मुहाल हो गया है.