जमशेदपुर: अब्बा जब घर से निकले थे तो कह कर गये थे कि घर में रहना और पढ़ाई करना,जल्दी लौटेंगे. बच्चे इंतजार करते रहे, लेकिन वे नहीं आये. एक अंकल आये और बताया कि अब वे कभी नहीं आ पायेंगे. यह बोल कर रहीम दहाड़ मार कर रोने लगता है. दो साल पहले उसके सिर से मां का साया उठ गया था. पिता ने मां की कमी खलने नहीं दी. उनकी मोहब्बत से बच्चों को जीने का हौसला मिला.
लेकिन अब तो पिता भी नहीं रहे. रेल दुर्घटना में मौत सिर्फ मो. सलीम अख्तर की हुई, लेकिन उनकी मौत से एक पूरा परिवार ही बर्बाद हो गया. दरअसल शनिवार को बहलदा के आमजुड़ी में रेल दुर्घटना में जुगसलाई के गौरी शंकर रोड के रहने वाले रेलवे ठेकेदार मो सलीम की मौत हो गयी. उनकी मौत की खबर सुन कर प्रभात खबर की टीम उनके घर पहुंची. मो. सलीम के घर के बाहर उसकी मौत की खबर सुन कर लोग जमा जरूर थे लेकिन उनका छोटा बेटा घर के सामने खेलने में मशगूल था.
उसे किसी के जीने और मरने के बारे में कुछ पता ही नहीं. मानसिक रूप से कमजोर है. पूछने पर बताया गया कि छोटा बेटा आरिफ मानसिक रूप से कमजोर है, हालांकि उसका नाम सेंट जॉन स्कूल के नौवीं क्लास में जरूर लिखाया गया है. बड़ा बेटा रहीम करीम सिटी कॉलेज में बीकॉम का छात्र है. पिता की मौत की खबर पर उसे भरोसा ही नहीं हो रहा था. वह दौड़ कर टाटा नगर रेलवे स्टेशन पहुंचता तो कभी भाग कर पूछ-ताछ केंद्र में पिता के बारे में जानकारी लेता. कोई कुछ बताने को तैयार नहीं था.