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न्यायालय सुब्रत राय की याचिका पर सुनवाई को तैयार

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय सहारा समूह के चेयरमैन सुब्रत राय को विदेश जाने से रोके जाने संबंधी अपने आदेश में संशोधन किये जाने की याचिका पर सुनवाई के लिये तैयार आज राजी हो गया. उच्चतम न्यायालय ने सहारा समूह को 20,000 करोड़ रुपये के संपत्ति के मालिकाना हक के दस्तावेज प्रतिभूति बाजार नियामक सेबी […]

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय सहारा समूह के चेयरमैन सुब्रत राय को विदेश जाने से रोके जाने संबंधी अपने आदेश में संशोधन किये जाने की याचिका पर सुनवाई के लिये तैयार आज राजी हो गया. उच्चतम न्यायालय ने सहारा समूह को 20,000 करोड़ रुपये के संपत्ति के मालिकाना हक के दस्तावेज प्रतिभूति बाजार नियामक सेबी के सुपुर्द करने का आदेश दिया है. शीर्ष अदालत ने कहा है कि जब तक सहारा समूह ऐसा नहीं करता है तब तक समूह के चेयरमैन सुब्रत रॉय को विदेश जाने की अनुमति नहीं होगी.

सहारा समूह ने उच्चतम न्यायालय से उसके इस आदेश में बदलाव के लिये याचिका दायर की है. न्यायमूर्ति के.एस. राधाकृष्णनन की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा है कि वह सहारा समूह के आग्रह पर कल अपने चैंबर में सुनवाई करेंगे. सहारा समूह के वकील ने इसी पीठ के समक्ष मामले को रखा है.सहारा समूह ने 28 अक्तूबर के आदेश में सुधार के लिये 29 अक्तूबर को उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया. पीठ ने कल सुब्रत राय को विदेश जाने की अनुमति देने के मामले में अंतरिम आदेश पारित करने से भी इनकार कर दिया था. न्यायालय ने कहा था कि पुनर्विचार याचिका पेश करने से पहले वह अंतरिम आदेश नहीं देगा.

सहारा समूह की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सी.ए. सुंदरम् ने कहा था कि वह आदेश पर पुनर्विचार का आग्रह नहीं कर रहे है बल्कि खुली अदालत में पारित आदेश और उच्चतम न्यायालय की वेबसाइट में अपलोड फैसले के फर्क को दिखाना चाहते हैं. सहारा के वकील ने दलील दी थी आदेश पारित करते हुये शीर्ष अदालत ने कहा कि यदि पूंजी बाजार नियामक को तीन सप्ताह के भीतर दस्तावेज नहीं सौंपे जाते हैं तो ही रॉय के विदेश जाने पर रोक होगी.

उच्चतम न्यायालय ने आदेश पारित करते हुये कहा कि सहारा समूह लुकाछिपी का खेल खेल रहा है इसलिये उस पर अब और ज्यादा विश्वास नहीं किया जा सकता. न्यायालय ने सहारा समूह को उसकी संपत्तियों के दस्तावेज सेबी के सुपुर्द करने का निर्देश दिया. अदालत ने कहा कि निवेशकों का धन लौटाने के सिवा और कोई दूसरा रास्ता नहीं है. समूह से कहा गया कि संपत्तियों के मालिकाना दस्तावेजों के साथ वह उनकी मूल्य संबंधी रिपोर्ट भी सेबी को सौंपे.

अदालत ने ये आदेश सेबी द्वारा दायर अदालत की अवमानना की तीन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुये दिये. सेबी ने सहारा समूह के खिलाफ यह याचिका दायर की थी. याचिकायें सहारा समूह की कंपनियां ‘सहारा इंडिया रीएल एस्टेट कारपोरेशन लिमिटेड और सहारा इंडिया हाउसिंग इनवेस्टमेंट कारपोरेशेन लिमिटेड,’ और उनके निदेशकों के खिलाफ दायर की गई हैं.

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