नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने बैडमिंटन खिलाड़ी ज्वाला गुट्टा के खिलाफ कथित अनुशासनहीनता की जांच कर रही भारतीय बैडमिंटन संघ (बाई) की समिति की कार्रवाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है.ज्वाला ने आज उच्च न्यायालय की शरण में आकर समिति द्वारा 14 अक्तूबर को जारी किए गए कारण बताओ नोटिस को चुनौती दी थी और साथ ही अपने खिलाफ जांच पर रोक की मांग की थी.
न्यायमूर्ति वीके जैन ने अपने 10 अक्तूबर के आदेश का संदर्भ दिया और कहा कि किसी अंतरिम आदेश की जरुरत नही है क्योंकि अदालत पहले ही बाई को यह कहकर ज्वाला को राहत दे चुकी है कि इस खिलाड़ी को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में हिस्सा लेने की स्वीकृति दी जाए.
समिति को जांच जारी रखने की स्वीकृति देते हुए न्यायमूर्ति जैन ने कहा, अगर वह समिति के किसी फैसले से असंतुष्ट रहती हैं तो इस अदालत की शरण में आ सकती हैं. अदालत ने हालांकि समिति के कारण बताओ नोटिस पर जवाब देने के लिए ज्वाला को दो हफ्ते का समय दे दिया.
अनुशासनहीनता के आरोप में अनुशासन समिति के ज्वाला पर आजीवन प्रतिबंध की सिफारिश करने के बाद इस रिपोर्ट के आकलन के लिए इस महीने तीन सदसयीय समिति का गठन किया गया था जिसे एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपनी है.
ज्वाला की ओर से पेश वकील गोपाल जैन ने कहा था कि अदालत को नव गठित समिति के संयोजन पर स्टे देना चाहिए और अदालत द्वारा ज्वाला की याचिका के अंतिम निस्तारण तक समिति को उनके खिलाफ कोई फैसला नही करना चाहिए.