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दिल्ली में आसाराम की जमीन पर चलेगा बुल्डोजर

नयी दिल्ली : आसाराम आए दिन मुश्किलों में फंसते चले जा रहे हैं. नाबालिग के यौन उत्पीड़न और सूरत में महिला से रेप के मामले में फंसे आसाराम ने दिल्ली स्थित करोल बाग इलाके में जमीन के एक हिस्सा पर अवैध रूप से कब्जा कर रखा है. इसे हटाने को लेकर एक याचिका दाखिल की […]

नयी दिल्ली : आसाराम आए दिन मुश्किलों में फंसते चले जा रहे हैं. नाबालिग के यौन उत्पीड़न और सूरत में महिला से रेप के मामले में फंसे आसाराम ने दिल्ली स्थित करोल बाग इलाके में जमीन के एक हिस्सा पर अवैध रूप से कब्जा कर रखा है. इसे हटाने को लेकर एक याचिका दाखिल की गई थी. याचिका पर सुनवाई करते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर सहित कई सरकारी एजेंसियों को नोटिस जारी किए हैं.

याचिका संजय कुमार ने दाखिल की थी. याचिका में कहा गया था कि जमीन पर अवैध कब्जे की जानकारी होने के बावजूद सरकारी एजेंसियों ने सालों तक कोई कार्रवाई नहीं की. इस पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने वन एवं पर्यावरण व शहरी विकास मंत्रालय,दिल्ली पुलिस कमिश्नर,वन विभाग,रिज मैनेजमेंट बोर्ड,नगर निगम और आसाराम आश्रम को नोटिस जारी किए.

याचिकाकर्ता के वकील गौरव बंसल के मुताबिक केन्द्र सरकार को पता था कि आठ साल पहले जमीन पर कब्जा किया गया था. आसाराम के आश्रम पर कब्जा हटाने के लिए नोटिस भी चस्पा किया गया था लेकिन अभी तक कब्जा नहीं हटाया गया है. वन विभाग काफी समय से जमीन से कब्जा हटाने और इसे रिज कंजर्वेशन को ट्रांसफर करने के लिए कह रहा था.

विभाग ने इसी सप्ताह फिर केन्द्र सरकार को इसी तरह का अनुरोध किया. एक समाचार पत्र ने खबर दी थी कि 38,808 फीट सरकारी जमीन पर अवैध रूप से कब्जा किया हुआ है. 6 जुलाई 2005 के शहरी विकास मंत्रालय के जमीन एवं विकास विभाग ने एक नोटिस चस्पा किया था. ट्रस्ट को 30 दिन के भीतर जमीन खाली करने का आदेश दिया गया था. ऎसा नहीं करने पर कार्रवाई की बात कही गई थी.

तीस दिन की मियाद खत्म होने के बाद ट्रस्ट को फिर नोटिस जारी नहीं किया गया. 1985 में करोब बाग आश्रम को ढहाने के लिए याचिका दाखिल की गई लेकिन 1996 में सुप्रीम कोर्ट ने आश्रम को राहत दे दी. वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि राहत कानूनी प्रावधानों के तहत दी गई थी. 2009 में फोरेस्ट सैटलमेंट ऑफिसर ने 2009 में आश्रम को रेगुलराइज करने की याचिका खारिज कर दी.

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