न्यूयार्क: साल 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ एक ‘डिफॉल्ट जजमेंट’ देने की एक मानवाधिकार संगठन की मांग को यहां एक फेडरल जज ने खारिज कर दिया और मामले में ‘कानूनी कमजोरियों’ को देखते हुए शिकायत में संशोधन के लिए चार हफ्तों का समय दिया.
डिफॉल्ट जजमेंट वह फैसला होता है जिसमें एक निश्चित समय के अंदर प्रतिवादी द्वारा उपस्थिति दर्ज नहीं कराने पर याचिकाकर्ता के अनुरोध पर अदालत फैसला सुनाती है.
सोनिया के वकील रवि बत्रा ने पीटीआई को ईमेल के जरिये दिये बयान में कहा कि सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) के दावों के विपरीत सोनिया को पिछले महीने न्यूयार्क में उनके प्रवास के दौरान कोई समन नहीं दिया गया था. जब वह स्वास्थ्य कारणों से वहां गयीं थीं. बत्रा ने कहा कि उन्होंने फेडरल जज को सूचित किया है कि न्यूयार्क की अदालत को इस विषय पर सुनवाई का अधिकार नहीं है और एसएफजे अनुचित तरीके से फैसले की कोशिश कर रहा है.
एसएफजे ने कल न्यूयार्क के ईस्टर्न डिस्ट्रिक्ट की अमेरिकी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल किया था और दावा किया था कि सोनिया को 9 सितंबर को यहां स्लोन-केटरिंग मेमोरियल अस्पताल में रिसेप्शनिस्ट, नर्स सुपरवाइजर और सुरक्षा कर्मचारियों द्वारा अलग तरह की सुविधा उपलब्ध कराई गयी. बत्रा ने कहा कि वह अदालत में मुकदमे को रद्द करने की गुहार करेंगे और संगठन के खिलाफ आदेश पारित करने की मांग करेंगे.