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मुंगेर में बही योग,अध्यात्म व चिंतन की गंगा

!!दीपक कुमार मिश्र!!स्वामी निरंजनानंद के हरि ऊं तत्सत के उद्घोष, परम पिता परमेश्वर की वंदना व स्वस्तिवाचन के पवित्र श्लोक के साथ मुंगेर के पोलो मैदान में बुधवार से पांच दिवसीय विश्व योग सम्मेलन शुरू हो गया. अगले पांच दिनों तक यहां योग, चिंतन, योग का जीवन से जुड़ाव, अध्यात्म व योग तथा योग का […]

!!दीपक कुमार मिश्र!!
स्वामी निरंजनानंद के हरि ऊं तत्सत के उद्घोष, परम पिता परमेश्वर की वंदना व स्वस्तिवाचन के पवित्र श्लोक के साथ मुंगेर के पोलो मैदान में बुधवार से पांच दिवसीय विश्व योग सम्मेलन शुरू हो गया. अगले पांच दिनों तक यहां योग, चिंतन, योग का जीवन से जुड़ाव, अध्यात्म व योग तथा योग का जीवन से एकाकार विस्तार से परिभाषित होगा.

दो दशक बाद एक बार फिर यहां देश-विदेश के 25 हजार से भी अधिक योग और भारतीय दर्शन से प्रेम करने वाले लोग पहुंचे हैं. उद्घाटन सत्र के दौरान स्वामी निरंजनानंद सरस्वती के उद्घोष करते ही पूरे वातावरण में एक अलग तरह की आध्यात्मिक व अलौकिक शांति छा गयी. पंडाल में मौजूद हर व्यक्ति योग और उसके चिंतन के और करीब आ गया. अपने संबोधन में स्वामी जी ने योग और मुंगेर के जुड़ाव, योग के प्रति स्वामी शिवानंद और स्वामी सत्यानंद के दर्शन व योग के व्यावहारिक पहलू को विस्तार से रखा. उन्होंने मुंगेर की योग यात्राका भी विस्तार से वर्णन किया.

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प्रत्येक पड़ाव की चर्चा
स्वामी जी ने 1953 में आयोजित पहले विश्व योग सम्मेलन से लेकर 2013 के योग सम्मेलन तक के प्रत्येक पड़ाव की चर्चा की. उन्होंने बताया कि कैसे योग के जरिए जीवन के हर आयाम को मजबूत किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि योग जीवन है और जीवन जीने की कला भी. स्वामी जी ने बिहार व मुंगेर की महत्ता पर तो प्रकाश डाला ही, भगवान राम-सीता, भगवान बुद्ध, जैन र्तीथकर भगवान महावीर, सम्राट अशोक, श्रृषि सुश्रक, आर्यभट्ट, चाणक्य, नालंदा व विक्रमशिला विश्वविद्यालय की भी चर्चा की. उन्होंने बिहार योग विद्यालय की महत्ता और योग के विस्तार में इसके योगदान पर भी चर्चा की. मुंगेर वासियों के सहयोग के लिए आभार जताते हुए उन्होंने कहा कि यह बिहार स्कूल ऑफ योगा की स्वर्ण जयंती समारोह नहीं है, बल्कि मुंगेर वासियों और योग से जुड़े लोगों की स्वर्णजयंती है.

गोल्डन योगी की उपाधि
उद्घाटन सत्र के दौरान विदेशी योग प्रेमियों के भारतीय योग दर्शन, यहां के अध्यात्म व वेदांत के प्रति श्रद्धान्वित नजर आते देख गजब की अनुभूति हो रही थी. इस दौरान 50 साल से योग के प्रति समर्पित लोगों को गोल्डन योगी की उपाधि से सम्मानित किया गया.

बाल मित्र मंडल के सदस्यों का संकीर्तन
इसके बाद बाल मित्र मंडल के सदस्यों ने गुरु ब्रह्म, गुरु विष्णु का संकीर्तन शुरू किया. रिखिया पीठ की पीठाधीश्वर स्वामी सत्संगानंद ने जीनन में योग के महत्व व उसके दर्शन के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि परिवर्तन का एक नाम योग भी है. यह मूल्यवान भी है और दर्शन भी. उद्घाटन सत्र में दिल्ली विश्वविद्याल के पूर्व कुलपति उपेन्द्र वख्सी, प्रमंडलीय आयुक्त मिन्हाज आलम व प्रसिद्ध उद्योगपति केके गोयनका ने भी अपने विचार रखे. इस अवसर पर सम्मेलन के संयोजक स्वामी शंकरानंद, डीआइजी सुधांशु कुमार, जिलाधिकारी नरेन्द्र कुमार सिंह, एसपी एन सी झा, मुंगेर की महापौर, उपमहापौर समाजसेवी निरंजन शर्मा आदि लोग उपस्थित थे. कार्यक्रम का समापन गुरु के सम्मान में समर्पित मंगल नृत्य से हुआ.

पोलो मैदान योग नगरी में तब्दील
इससे पूर्व, कार्यक्रम स्थल (पोलो मैदान) पूरी तरह योग नगरी में तब्दील हो चुका है. यहां न सिर्फ योग बल्कि दर्शन, चिंतन, अध्यात्म, योग और विज्ञान का एक साकार रूप देखने को मिल रहा है.

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संध्याकालीन सत्र
योग सम्मेलन के पहले दिन के संध्याकालीन सत्र की शुरुआत शांति पाठ और ‘गोपाला-गोपाल रे प्यारा नंद लाला’ संर्कीतन से हुई. इसके बाद पुरी के महाराज गजपति महाराज ने चेतना के उत्थान तथा मानव जीवन में योग और अध्यात्म की महत्ता पर प्रकाश डाला. हर्षिकेश पुरी आश्रम के स्वामी मुक्तिनानंद पुरी ने मानव चिंतन, भारतीय योग दर्शन, तप की महत्ता, ज्ञान प्राप्ति में योग की महत्ता तथा परमात्मा के प्रति पूर्ण सर्मपण पर सारगर्भित विचार रखे.

भारतीय योग अपने आप में अद्भुत
इस दौरान गोल्फ के स्टार खिलाड़ीअर्जुनअटवाल ने भी योग पर अपने विचारों को रखा. स्वामी गिरीशानंद ने श्रीमद् भागवत कथा सुनायी. प्रथम दिन कई विदेशी सन्यासियों ने स्वामी शिवानंद, स्वामी सत्यानंद, स्वामी निरंजनानंद और योग के विस्तार में उनके समर्पण पर प्रकाश डाला. फ्रांस की स्वामी योगभक्ति सरस्वती ने कहा कि भारतीय योग अपने आप में अद्भुत है. इसकी महत्ता फ्रांस में इतनी बढ़ गयी है कि वहां के किंडर गार्डेन से लेकर विश्व विद्यालय तक में योग की शिक्षा दी जायेगी. इसके बाद स्वामी निरंजनानंद ने योगा आइ पैड का विमोचन किया. जिसमें सत्संग प्रवचन, भजन-कीर्तन और योग शिक्षा तथा बिहार योग विद्यालय पादुका दर्शन और रिखिया पीठ के कार्यक्रमों की जानकारी दी गयी है. इसकी पहली कॉपी गजपति महाराज को भेंट की गयी.

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