नयी दिल्ली: अपनी साफ छवि के लिए जाने जाने वाले और दिल्ली विधानसभा चुनावों में मुख्यमंत्री पद के लिए भाजपा उम्मीदवार हर्षवर्धन के सामने सबसे बड़ी चुनौती खेमे में बंटी भाजपा को एकजुट करने की होगी.मुख्यमंत्री पद के लिए भाजपा उम्मीदवार को लेकर पार्टी के भीतर काफी खींचतान के बाद हर्षवर्धन के नाम की घोषणा की गई. इस खींचतान के कारण राजधानी में 15 वर्षों बाद सत्ता पर काबिज होने की पार्टी की मुहिम के पटरी से उतरने का खतरा मंडराने लगा था.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्य हर्षवर्धन को बचपन से ही उनकी सादगी के लिए जाना जाता है. भाजपा के शीर्ष नेतृत्व का मानना है कि लगातार तीन बार पार्टी की हार के बाद हर्षवर्धन चार दिसंबर को होने वाले चुनावों में इस बार पार्टी का भाग्य बदलने की क्षमता रखते हैं. हर्षवर्धन दिल्ली में भाजपा की सरकार के दौरान 1993 से 1998 तक स्वास्थ्य मंत्री रह चुके हैं.
भाजपा की दिल्ली इकाई के वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि शीर्ष पद के लिए हर्षवर्धन को उम्मीदवार घोषित करने से चुनावों में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस को कड़ी टक्कर देने में भाजपा को मदद मिलेगी.
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने एक बार हर्षवर्धन के बारे में कहा था,‘‘ वह आम लोगों की सेवा के लिए अपने चिकित्सकीय ज्ञान एवं अनुभव का इस्तेमाल करने के प्रशंसनीय मकसद के साथ राजनीति में शामिल हुए हैं. ’’हर्षवर्धन को 2003 में भाजपा की दिल्ली इकाई का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. उन्हें उस वर्ष विधानसभा चुनावों में पार्टी की हार के बाद जमीनी स्तर पर पार्टी के पुनर्निर्माण का श्रेय दिया जाता है. पार्टी ने 2007 में दिल्ली नगर निगम में फिर से सत्ता हासिल की और 2008 में उनके नेतृत्व में पार्टी ने दिल्ली छावनी बोर्ड चुनावों में भी जीत दर्ज की.
हर्षवर्धन की सरलता और नेतृत्व की सर्वप्रिय शैली के कारण विभिन्न राजनीतिक दलों के कई नेता उनकी सराहना करते हैं. हर्षवर्धन के नेतृत्व के गुणों को पहचानते हुए उन्हें 2003 से 2008 के बीच तीन बार दिल्ली भाजपा की अध्यक्षता सौंपी गई.
हर्षवर्धन को जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं के उत्साह को वापस लाना होगा. मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के लिए विकास गोयल के खुले तौर पर अपनी दावेदारी पेश करने के बाद पार्टी के बीच इस मामले पर खींचतान सामने आने से कार्यकर्ताओं के मनोबल पर नकारात्मक असर पड़ा हैहर्षवर्धन का जन्म 13 दिसंबर 1954 को हुआ था और उन्होंने केंद्रीय दिल्ली के दरियागंज में एंग्लो-संस्कृत विक्टोरिया जुबली सीनियर सेकेंडरी स्कूल से अपनी स्कूली पढाई पूरी की. इसके बाद उन्होंने कानपुर में जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की डिग्री और ईएनटी में विशेषज्ञता हासिल की.
हर्षवर्धन ने स्वास्थ्य मंत्री के तौर पर अक्तूबर 1994 में दिल्ली में पोलियो उन्मूलन अभियान शुरु किया था. इस कार्यक्रम की सफलता के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बाद में इसे ही राष्ट्रीय कार्यक्रम के तौर पर अपनाया था. उन्होंने विभिन्न राज्यों का दौरा भी किया ताकि देश को पोलियो मुक्त बनाने में सहयोग देने के लिए स्वास्थ्य मंत्रियों को मनाया जा सके.
हर्षवर्धन के योगदान को पहचानते हुए दिल्ली स्वास्थ्य संगठन ने उन्हें मई 1998 में महानिदेशक के प्रशस्ति पदक से सम्मानित किया गया.