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ऐसे चल रहा मेडिकल कॉलेज !

गया: नेशनल एड्स कंट्रोल सोसाइटी ने करीब दो वर्ष पहले अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज-अस्पताल (एएनएमएमसीएच) को ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन यूनिट मुहैया कराया था. लेकिन, अस्पताल प्रशासन इसके लिए महज 1750 से 2000 वर्ग फुट जगह की व्यवस्था नहीं कर पाया. परिणामस्वरूप यह यूनिट यहां से पटना के इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में […]

गया: नेशनल एड्स कंट्रोल सोसाइटी ने करीब दो वर्ष पहले अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज-अस्पताल (एएनएमएमसीएच) को ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन यूनिट मुहैया कराया था. लेकिन, अस्पताल प्रशासन इसके लिए महज 1750 से 2000 वर्ग फुट जगह की व्यवस्था नहीं कर पाया. परिणामस्वरूप यह यूनिट यहां से पटना के इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में चला गया. इसका नुकसान मरीजों को उठाना पड़ा.

जानकारी के अनुसार, यूनाइटेड नेशन ऑफिस फॉर प्रोजेक्ट सर्विस(यूएनओपीएस) व वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के सहयोग से नेशनल एड्स कंट्रोल सोसाइटी (नाको) द्वारा करीब दो साल पूर्व एएनएमएमसीएच को ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन यूनिट मुहैया कराया गया था. इस बीच सोसाइटी के अधिकारियों ने अस्पताल के प्रशासनिक अधिकारियों को कई बार फोन पर यूनिट चालू कराने के लिए समुचित व्यवस्था करने का अनुरोध किया, लेकिन अस्पताल प्रशासन उदासीन बना रहा. इसके लिए स्थल चयन व प्राक्कलन बना कर राज्य स्वास्थ्य समिति व स्वास्थ्य विभाग को भेजने के बाद हाथ-पर-हाथ धर कर बैठा रहा.

आखिर, वहीं हुआ जिसका डर था. दो सालों से बेकार पड़ा ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन यूनिट पिछले 30 सितंबर को नाको ने यहां से उठा कर इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में भेज दिया गया. अस्पताल के जानकारों की मानें तो इसके लिए राज्य सरकार व अस्पताल प्रशासन दोनों जिम्मेवार हैं. इस पूरे यूनिट की लागत मूल्य 50 लाख रुपये से अधिक बतायी जाती है. निकट भविष्य में इसकी भरपाई संभव नहीं है. सूत्रों के अनुसार, किसी भी मेडिकल कॉलेज में पीजी डिपार्टमेंट की मान्यता के लिए ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन यूनिट अनिवार्य है.

फिलवक्त, एमसीआइ से एएनएमएमसीएच में एनाटॉमी, गायनीकोलॉजी व फार्माकोलॉजी डिपार्टमेंट में दो-दो सीट के लिए पीजी की मान्यता प्राप्त है. अन्य कई विभागों में पीजी की मान्यता प्राप्त करने के लिए प्रयास जारी है. ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन यूनिट के चले जाने से इसमें बाधाएं उत्पन्न हो सकती है. इधर, हाल के दिनों में गया व आसपास जिलों में डेंगू का कहर जारी है. प्रतिदिन औसतन एक मरीज एएनएमएमसीएच में इलाज के लिए आ रहा है. डेंगू के मरीजों की जान बचाने के लिए प्लेटलेट्स की आवश्यकता होती है. इसके अभाव में मरीजों को पीएमसीएच व अन्य बड़े अस्पतालों के लिए रेफर करना पड़ रहा है. एएनएमएमसीएच के इमरजेंसी वार्ड पर नजर डालें तो एक से 16 अक्तूबर के बीच डेंगू के नौ मरीज अस्पताल में भरती किये गये हैं. इनमें से अधिकतर को प्लेटलेट्स काफी कम पाये जाने के कारण रेफर किया जा चुका है. इनमें जूही प्रवीण(34), जयनुद्दीन(45), राजू कुमार(20), प्रमोद कुमार(29), चंदन कुमार (23), संजय यादव(25), मोहन पासवान(25), मो मोख्तार(22), अखिलेश कुमार(20) व सुनील कुमार (14) शामिल हैं.

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