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वायु प्रदूषण से भी कैंसर का खतरा

रांची: वायु प्रदूषण को भी कैंसर का एक बड़ा कारण माना गया है. हाल में जारी विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट में वायु प्रदूषण को पहली बार तंबाकू की श्रेणी में रखा गया है. डब्ल्यूएचओ की इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (आइएआरसी) के अनुसार वायु प्रदूषण भी कैंसर का उतना ही बड़ा कारण […]

रांची: वायु प्रदूषण को भी कैंसर का एक बड़ा कारण माना गया है. हाल में जारी विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट में वायु प्रदूषण को पहली बार तंबाकू की श्रेणी में रखा गया है. डब्ल्यूएचओ की इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (आइएआरसी) के अनुसार वायु प्रदूषण भी कैंसर का उतना ही बड़ा कारण है जितना की तंबाकू. झारखंड के कई शहरों की वायु प्रदूषण की स्थित बहुत ही गंभीर है.

वाहनों से निकलने वाला धुआं, थर्मल पावर प्लांट, औद्योगिक और कृषि उत्सर्जन के अलावा इनडोर हीटिंग और कूकिंग से पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है. राजधानी रांची सहित राज्य के कई शहरों का प्रदूषण स्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है. इसमें जमशेदपुर और धनबाद की प्रदूषण की स्थिति बदतर हैं.

धनबाद में तो प्रदूषण के स्तर को खतरनाक मानते हुए नये उद्योग पर रोक लगा दी गयी थी, जिसे हाल ही में हटाया गया है. कई स्थानों पर तो हवा में अनजले कार्बन सहित सस्पेंडेड पार्टिकुलेट की मात्र 100 फ्ॅ/े3 (सामान्य क्षेत्र) से ज्यादा हो गयी है. माइनिंग क्षेत्र में तो यह 300 फ्ॅ/े3 है. रांची और जमशेदपुर में बढ़ते वाहन हवा में जहर घोल रहे हैं, जबकि धनबाद में कोयला खनन से वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है.

कार्यक्रम में तीन शहर
देश के वायु प्रबोधन कार्यक्रम में झारखंड के तीन शहरों को शामिल किया गया है. इसमें राजधानी के अतिरिक्त धनबाद और जमशेदपुर हैं. बिहार का एक मात्र शहर पटना को भी इसमें शामिल किया गया है. देश में कुल 49 शहरों को इस कार्यक्रम में शामिल किया गया है. इन जिलों के वायु प्रदूषण पर नजर रखने के लिए विशेष अभियान चलाया जाता है. केंद्रीय पर्यावरण नियंत्रण बोर्ड ने इसके लिए नौ वायु मॉनिटरिंग स्टेशन स्वीकृत किये हैं. इसमें रांची और जमशेदपुर में चार-चार तथा धनबाद में एक स्टेशन लगाया जाना है. रांची में दो और धनबाद और जमशेदपुर में एक-एक केंद्र संचालित हो रहे हैं.

क्यों बनी यह स्थिति
राज्य के तीन शहरों में वायु प्रदूषण होने के अलग-अलग कारण हैं. रांची में 12 हजार ऑटो हैं. इसमें 90 फीसदी से अधिक डीजल ऑटो है. करीब तीन हजार से अधिक भारी वाहन और स्कूली वाहन हैं. पुराने वाहन धुआं ज्यादा छोड़ते हैं. शहर के बीचो-बीच स्थित फिरायालाल के करीब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अगस्त में 273 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर सस्पेंडेट पार्टिकुलेट मैटर (एसपीए) पाया था. इसका सीधा असर राजधानी के मौसम पर दिखने लगा है. 10-12 साल पहले राजधानी में मौसम की जो स्थिति थी, वह आज नहीं है. गरमी के दिनों में यहां का तापमान 40 डिग्री तक पहुंच जाता है.

धुआं बड़ा कारण
जमशेदपुर में वायु प्रदूषण का मुख्य कारण चिमनी से निकलने वाला धुआं और वाहनों की बढ़ती संख्या है. वहां की संस्कृति महानगरों की तरह है. 30 हजार से अधिक दो पहिया वाहन सड़कों पर चलते हैं. पांच हजार से अधिक कार और व्यावसायिक वाहन हैं. इसमें 90 फीसदी डीजल वाले हैं. 20 हजार से अधिक सड़कों पर दौड़ते हैं. इससे इतनी अधिक मात्र में कार्बन निकलता है कि शहर के किसी-किसी कोने में एसपीएम की मात्र 200 से अधिक पायी गयी है.

चपेट में धनबाद
धनबाद पूरी तरह कोयला उद्योग की चपेट में है. इस जिले के प्रदूषण का मुख्य कारण भी यही है. यहां 40 हजार से अधिक खुली खदानें हैं. 100 से अधिक हार्डकोक की फैक्टरी है. यह जिला राज्य में सबसे अधिक वायु प्रदूषित है. राज्य प्रदूषण नियंत्रण ने जून 2013 में धनबाद जिले के झरिया में 304 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर एसपीएम पाया था. यह खतरे के निशान से काफी ऊपर है.

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