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‘मोहे भूल गये सांवरिया’ ने लता को रुलाया

सन् 1952 में रिलीज हुई अभिनेता भारत भूषण और अभिनेत्री मीना कुमारी की फिल्म ‘बैजू बावरा’ का गीत ‘मोहे भूल गए सांवरिया’ गीत का दर्द आज भी सुनने वाले महसूस कर सकते हैं. सुर सम्राज्ञी लता मंगेशकर की आवाज का जादू ही ऐसा है. लेकिन बहुत कम लोग यह बात जानते हैं कि खुद इस […]

सन् 1952 में रिलीज हुई अभिनेता भारत भूषण और अभिनेत्री मीना कुमारी की फिल्म ‘बैजू बावरा’ का गीत ‘मोहे भूल गए सांवरिया’ गीत का दर्द आज भी सुनने वाले महसूस कर सकते हैं.

सुर सम्राज्ञी लता मंगेशकर की आवाज का जादू ही ऐसा है. लेकिन बहुत कम लोग यह बात जानते हैं कि खुद इस गीत की रिकॉर्डिग के वक्त लता मंगेशकर फूट-फूट कर रो पड़ी थी. यह बात स्वंय संगीतकार नौशाद ने एक साक्षात्कार में स्वीकार करते हुए कही थी. वह कहते हैं, गाने की रिकॉर्डिग के समय रात का आलम था, चारों ओर सन्नाटा था. प्ले-बैक कमरे में लता का गाना ‘मोहे भूल गए सांविरया’ शुरू हुआ.

दो या तीन पंक्तियों के बाद एकाएक उसकी आवाज आनी बंद हो गयी. मुङो कुछ समझ नहीं आ रहा था, मैं भागकर प्लेबैक कमरे में पहुंचा और हक्का-बक्का रह गया. लता गाना बंदकर फूट-फूट कर रो रही थी. सभी लोग अवाक होकर लता को देख रहे थे. मैंने उसे संभालते हुए पूछा कि क्या बात हो गयी, रो क्यों रही हो. इस सवाल पर लता का जवाब था कि नौशाद साहब, यह धुन और गीत ही रु ला देने वाले हैं. कितना दर्द, कितना विरह भरा हुआ है. मुङो थोड़ा समय दीजिए. उसने कुछ घंटे लिए फिर वह सामान्य अवस्था में आ सकी, उसने इस गीत के दर्द को समझा और उसे अपनी आवाज में ढाला.

यही वजह है कि वह गीत इतना खूबसूरत बन गया था. फिल्म में जब यह गीत मीना कुमारी के ऊपर फिल्माया हुआ दिखाई पड़ता है, तो ऐसा लगता है, जैसे सही में वह रोते हुए इसे गा रही है. बॉलीवुड के बेहतरीन दर्द भरे गीतों में यह गीत हमेशा ही याद किया जाता है. लता मंगेशकर को भी यह गीत बेहद पसंद है.

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