रांची: झारखंड हाइकोर्ट में गुरुवार को एनएच-23 (गुमला-वीरमित्रपुर) के निर्माण कार्य पूरा करने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की किरकिरी हुई. एक्टिंग चीफ जस्टिस डीएन पटेल व जस्टिस एस चंद्रशेखर की खंडपीठ ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए शपथ पत्र के माध्यम से जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. पूछा कि योजना पर अब तक कितनी राशि खर्च की गयी है. निर्माण कार्य कब तक पूरा होगा. जो भी कहना है शपथ पत्र के माध्यम से कहे.
केंद्र की भूमिका पर असंतोष जताते हुए खंडपीठ ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि आपके पास पावर है या नहीं. जो काम केंद्र नहीं कर सकता है, वैसी योजना क्यों बनायी जाती है. क्या कागज पर ही योजना बनती है. योजना बनाने के पहले क्षेत्र की जानकारी नहीं थी क्या. अधिकारियों में इच्छाशक्ति की कमी है. अधिकारी बदल दिये जायें, तो काम पूरा हो जायेगा.
जनता का पैसा है. अधिकारियों से पैसा वसूलने की जरूरत है. केंद्र सरकार मॉनेटरिंग करती भी है या नहीं. ऐसा लगता है कि अधिकारियों को सोचने के लिए भी हाइकोर्ट के आदेश की जरूरत है. एनएच का निर्माण कार्य वर्ष 2007 से चल रहा है, जो अब तक पूरा नहीं हो पाया. 20 मार्च 2012 से काम बंद है. खंडपीठ ने राज्य सरकार को भी शपथ पत्र दाखिल करने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई 24 अक्तूबर को होगी. इससे पूर्व केंद्र सरकार की ओर से अधिवक्ता मो मोख्तार खान ने मौखिक रूप से खंडपीठ को बताया कि निर्माण की जिम्मेवारी अगस्त 2007 में सारदा कंस्ट्रक्शन को दिया गया था. 15 माह में काम पूरा करना था.
कार्य संतोषजनक नहीं रहने पर 20 मार्च 2012 को उक्त एजेंसी को हटा दिया गया. तब से काम बंद है. एनएच-23 नक्सल प्रभावित क्षेत्र पड़ता है. राज्य सरकार सुरक्षा नहीं दे रही है. झारखंड में लॉ एंड ऑर्डर की समस्या है. अधिकारी सहयोग नहीं करते हैं. प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता जेजे सांगा ने पैरवी की. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी मनोज कुमार अग्रवाल ने जनहित याचिका दायर की है.