न्यूयॉर्क: भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली ने दावा किया कि भारत में 1977 और 1989 की तरह ही जबर्दस्त सत्ता विरोधी लहर है और 2014 के आम चुनाव के परिणाम में नेतृत्व के सामथ्र्य की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होगी.
‘अंतरराष्ट्रीय शांति संस्थान’ में संबोधन के दौरान राज्य सभा में विपक्ष के नेता जेटली ने कहा, ‘‘मुझे जो भी संकेत मिल रहे हैं उससे लगता है कि देश में बहुत जबर्दस्त, हमने जितना सोचा था उससे भी ज्यादा तेज, सत्ता विरोधी लहर है.’’उन्होंने कहा कि सत्ता विरोध लहर ‘अद्भुत’ है और यह 1977 और 1989 जैसी ही है जब बहुमत की सरकार भारी अंतर से चुनाव हार गई थी.उन्होंने कहा कि भारतीय मतदाता एक ‘विकल्प’ की तलाश में हैं क्योंकि लोग पिछले कुछ वर्ष के शासन को ‘नेतृत्व की बड़ी विफलता’ मान रहे हैं.
जेटली ने कहा कि जहां तक देश के आर्थिक प्रबंधन का प्रश्न है, सरकार के प्रमुख या प्रधानमंत्री की बात ही अंतिम बात होनी चाहिए.उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें देश का सजग नेता होना चाहिए और उसे पार्टी का भी स्वभाविक नेता होना चाहिए. उनका शब्द अंतिम हो और इसे वह दूसरों को समझा सके ऐसी क्षमता उनमें होनी चाहिए. यदि उनके पास यह अधिकार नहीं हैं, फिर वह ऐसा प्रधानमंत्री है जो कार्यालय में तो बैठता है लेकिन देश नहीं चलाता.’’उन्होंने कहा, ‘‘पिछले कुछ वर्षों से यही वास्तविक समस्या की जड़ रहा है.’’