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सुखाड़-बाढ़ के बाद अब तूफानी बारिश

देश के किसी भू-भाग को एक साल के भीतर तीन-तीन बार प्राकृतिक आपदा से जूझना पड़े तो उसे आप क्या कहेंगे? बिहार ऐसा ही राष्ट्रीय भूगोल का एक हिस्सा है. सूखे की मार के साथ-साथ राज्य की बड़ी आबादी बाढ़ की तबाह से उबर भी नहीं पायी थी कि उसे फिर प्राकृतिक आपदा से एकाकार […]

देश के किसी भू-भाग को एक साल के भीतर तीन-तीन बार प्राकृतिक आपदा से जूझना पड़े तो उसे आप क्या कहेंगे? बिहार ऐसा ही राष्ट्रीय भूगोल का एक हिस्सा है. सूखे की मार के साथ-साथ राज्य की बड़ी आबादी बाढ़ की तबाह से उबर भी नहीं पायी थी कि उसे फिर प्राकृतिक आपदा से एकाकार होना पड़ा. कुछ दिनों पहले तक राज्य का आधा हिस्सा सुखाड़ से त्रस्त था तो आधे में गंगा का बाढ़ आया हुआ था.

इस दफे खास बात यह भी रही कि गंगा का प्रवाह क्षैतिज आकार में हुआ. इससे नये इलाकों में पानी फैला. यह भी हमें नहीं भूलना चाहिए कि बाढ़ के पानी का ठहराव इस बार कुछ ज्यादा ही लंबा खिंच गया. गंगा का यह लक्षण चौंकाने वाला रहा. इस संदर्भ में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने फरक्का को लेकर साफ-साफ बातें कही हैं. केंद्रीय स्तर पर नीतियां बनाने वालों को जरूर इसे ध्यान में रखने की जरूरत है. बाढ़-सुखाड़ से तबाह बिहार के लिए सरकार की ओर से बारह हजार करोड़ रुपये की सहायता मांगी गयी है. इस दिशा में केंद्र से सकारात्मक भूमिका की अपेक्षा भी करनी चाहिए.

मगर इसी बीच बिहार पर एक और आपदा की मार पड़ गयी. फैलिन नामक चक्रवाती तूफान से भारी बारिश ने मुसीबत खड़ी कर दी. कोसी और गंगा के जलग्रहण क्षेत्र में लगातार बारिश के चलते बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है. कुछ दिनों पहले तक राज्य के मैदानी इलाके में गंगा के पानी से बाढ़ की नौबत थी. अब उत्तर बिहार में बाढ़ का संकट मंडरा रहा है. पर इसके पहले फैलिन से हुई घनघोर बारिश से धान के फसलों को व्यापक नुकसान हुआ है. इस नुकसान का आकलन हो रहा है. लेकिन शुरुआती सूचना के अनुसार अचनाक हुई बारिश ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है.

एक तो पहले से फसल पर सूखे का असर था. जैसे-तैसे धान की फसल खड़ी हुई तो अब फैलिन की मार पड़ गयी. एक सूचना यह भी है कि केले की फसल को इससे भारी क्षति हुई है. फिलहाल यह अनुमान किया जा रहा है कि अचानक हुई तेज बारिश से करीब चार सौ करोड़ रुपये के केले तबाह हो गये. जान-माल की जो क्षति हुई उसका हिसाब-किताब तो दो-चार दिनों के बाद आयेगा. लेकिन एक साल में तीन बार प्राकृतिक आपदा ङोल चुके बिहार को बिना देर किये केंद्रीय मदद मिलनी ही चाहिए.

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