पिछले दिनों आपके अखबार में हमें पढ़ने को मिला कि पारा शिक्षक संघ के लोग मुख्यमंत्री से मिल कर महिला पारा शिक्षिकाओं को मातृत्व अवकाश देने की मांग कर रहे हैं और मुख्यमंत्री भी महिला पारा शिक्षिकाओं को मातृत्व अवकाश नहीं मिलने से आश्चर्यचकित हुए. यह खबर पढ़ कर ऐसा लगा कि क्या मानवता इस राज्य में बिल्कुल समाप्त हो चुकी है. मालूम हो कि राज्य में महिला पारा शिक्षिकाओं को मातृत्व अवकाश दिये जाने का प्रावधान नहीं है.
यानी उन्हें मां बनना है तो विद्यालय से छुट्टी लें या फिर मां बनने का विचार छोड़ दें. अब पांच हजार रुपये मासिक पर काम करने वाला कोई शख्स तीन महीने की छुट्टी लेगा, तो उसका परिवार कैसे चलेगा? आश्चर्य है कि महिला को अघोषित रूप से इस राज्य में मां बनने से रोका जा रहा है, वह भी उस विभाग में जिसकी मंत्री खुद महिला हैं.
इमरान आलम, पचंबा, गिरिडीह