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नि:शक्त प्रदीप ने पायी शिक्षक की नौकरी

-प्रभात एक्सक्लूसिव-मधुबनीः पैर से नि:शक्त प्रदीप कुमार झा आखिरकार शिक्षक की नौकरी पाने में सफल रहा. लखनौर प्रखंड के बलिया ग्राम निवासी प्रदीप प्रथम चरण के शिक्षक नियोजन के लिए आवेदन किया था. लेकिन इनकी योग्यता होते हुए भी पंचायत एवं प्रखंड शिक्षक नियोजन इकाई ने इन्हें चयनित नहीं किया. इसके खिलाफ ये अपना संघर्ष […]

-प्रभात एक्सक्लूसिव-
मधुबनीः पैर से नि:शक्त प्रदीप कुमार झा आखिरकार शिक्षक की नौकरी पाने में सफल रहा. लखनौर प्रखंड के बलिया ग्राम निवासी प्रदीप प्रथम चरण के शिक्षक नियोजन के लिए आवेदन किया था. लेकिन इनकी योग्यता होते हुए भी पंचायत एवं प्रखंड शिक्षक नियोजन इकाई ने इन्हें चयनित नहीं किया. इसके खिलाफ ये अपना संघर्ष आठ वर्षो से जारी रखा. अंतत: राज्य शिक्षा अधिकारी राहुल सिंह एवं डीएम लोकेश कुमार सिंह के हस्तक्षेप से ये न्याय पा सके. इन्हें नौकरी मिल सकी. लखनौर प्रखंड विकास पदाधिकारी सह सदस्य सचिव प्रखंड नियोजन इकाई समिति ने प्रदीप को नियोजन पत्र हस्तगत कराया है.

दरअसल प्रदीप स्थानीय कर्मी व पदाधिकारी से हतोत्साहित हो गया. शिक्षक नियोजन प्राधिकार में मामला दायर के बाद इनके पक्ष में फैसला दिया गया. जिसका अनुपालन शिक्षा विभाग के पदाधिकारी एवं शिक्षक नियोजन इकाई के द्वारा नहीं किया जा रहा है. जबकि तत्कालीन डीएम राहुल सिंह ने भी इस संबंध में सख्त निर्देश दिये थे. प्रभात खबर के 2 जून 11 के अंक में पंजी गायब नहीं हुई. प्राथमिकी द्वारा इस मुद्दे को उठाया गया. इसके बाद न्याय व हक की रात के बाधाओं के बारे लगातार खबरें प्रकाशित की गयी है.

जिससे प्रदीप एवं इनके परिजनों का हौसला बना रहा. नियोजन पत्र प्राप्त होने के बाद प्रदीप ने प्रभात खबर को शुक्रिया अदा किया एवं कहा हर जगह से मिल रही प्रताड़ना को खबरें के सहारे ही ङोल सका. मालूम हो कि प्रदीप जब अपना संघर्ष जारी रखे हुए था. इसी बीच इन पर नियोजन इकाई के सदस्यों ने मारपीट की प्राथमिकी दर्ज करा दी. दिलचस्प है कि स्थानीय पुलिस नि:शक्तों को अराजक तत्व घोषित भी कर दिया था, लेकिन तत्कालीन डीआइजी व आइजी के हस्तक्षेप के बाद मामले की सच्चई सामने आ सकी. प्रदीप द्वारा सूचना के अधिकार कानून के इस्तेमाल किये जाने के कारण भ्रष्टाचारी तत्वों में खलबली थी. नियोजन में बरती गयी धांधली लगातार उजागर हो रही थी. जो इन तत्वों को नागवार गुजर रहा था. लेकिन अंतत: प्रदीप का संघर्ष ही जीत हुई.

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