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हजारों भक्तों ने लगायी मां के दरबार में हाजिरी

संवाददाता, दिघवारा प्रखंड के शक्तिपीठ स्थल अंबिका भवानी मंदिर में शारदीय नवरात्र के चौथे दिन मंगलवार को भी मां के हजारों भक्तों ने दरबार में हाजिरी लगाते हुए पूजा-अर्चना की एवं परिजनों की खुशहाली की कामना की. मंगलवार को सुबह से ही दूर-दराज क्षेत्रों से श्रद्धालुओं का पहुंचना शुरू हो गया था, हालांकि नवरात्र के […]

संवाददाता, दिघवारा

प्रखंड के शक्तिपीठ स्थल अंबिका भवानी मंदिर में शारदीय नवरात्र के चौथे दिन मंगलवार को भी मां के हजारों भक्तों ने दरबार में हाजिरी लगाते हुए पूजा-अर्चना की एवं परिजनों की खुशहाली की कामना की. मंगलवार को सुबह से ही दूर-दराज क्षेत्रों से श्रद्धालुओं का पहुंचना शुरू हो गया था, हालांकि नवरात्र के पहले तीन दिनों की अपेक्षा मंगलवार को अपेक्षाकृत श्रद्धालुओं की भीड़ में थोड़ी कमी दिखाई पड़ी. श्रद्धालुओं ने मंदिर परिसर में मौजूद स्थानों पर बैठ कर दुर्गा पाठ किया एवं पाठ संपन्न होने के बाद पुरुष व महिला भक्तों ने मंदिर की परिक्रमा की. इसके बाद सभी ने मां के पिंडी रूप के दूर से दर्शन किये एवं अपने मनोवांछित कामनाओं के पूर्ण होने की कामना की. वहीं, विभिन्न जिलों से पहुंचे श्रद्धालुओं ने पंक्तिबद्ध होकर मां के दर्शन किये. मंगलवार को मां का पिंड लाल रंग की चुनरी से आकर्षक ढंग से सजाया गया था. श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए किसी भी आम श्रद्धालु को गर्भगृह में जाने की इजाजत नहीं थी. हजारों श्रद्धालुओं ने मां के दर्शन के उपरांत मंदिर परिसर में अवस्थित शिव की विशालकाय प्रतिमा की भी पूजा अर्चना की. मंदिर का चप्पा-चप्पा श्रद्धालुओं से भरा दिखाई पड़ा. श्रद्धालुओं ने इंतजार कर क्रमबद्ध होकर मंदिर परिसर में स्थान ग्रहण कर दुर्गा पाठ पूरा किया. पाठ करने वाले श्रद्धालुओं में हर आयु वर्ग के लोग दिखाई पड़े. वहीं, दूसरी तरफ दुर्गा पाठ करनेवाले श्रद्धालुओं ने मंगलवार को कलश स्थापना वाले स्थलों पर पूजा अर्चना कर मां के कूष्मांडा रूप की आराधना की. धीरे-धीरे हर जगह भक्तिमय माहौल बनता दिखायी पड़ रहा है. पूजा पंडालों में भी भक्ति गीत सुनने को मिल रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर बताया जाता है कि शक्तिपीठ स्थल आमी के गर्भगृह में अवस्थित मां के मिट्टी के बने पिंड के सामने बना जलकुंड श्रद्धालुओं के बीच एक अहम स्थान रखता है. कहते हैं कि किसी भी मौसम में जलकुंड का जल सूखता नहीं है. ऐसी मान्यता है कि कुंड का आंतरिक तौर पर गंगा से कनेक्शन है. इस कारण इस जलकुंड में हमेशा जल बना रहता है. लोक धारणा है कि मां के दर्शन के उपरांत मन में मन्नत रख कर श्रद्धा भाव से स्वच्छता के साथ जलकुंड में हाथ डालें और कुछ मिले, तो समझ ले कि मां आपकी मन्नतों को जरूर पूर्ण करेंगी.

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