हुनर से मिला परिवार को सहारा
रांची : गुमला में पली–बढ़ी शोभा जालान को बचपन से सिलाई–कढ़ाई का शौक था. उसने 10वीं तक की पढ़ाई की. शादी के बाद रांची आ गयी. इसी बीच तीन बच्चों की जिम्मेदारी कंधे पर आ गयी. पर, शोभा घर की जिम्मेदारियों के साथ अपनी अलग पहचान बनाना चाहती थी.
वर्ष 2000 में दो मशीन व दो कारीगरों के साथ उसने सिलाई–कढ़ाई का काम शुरू किया. मेहनत रंग लायी. व्यवसाय चलने लगा. फिर लालपुर स्थित अपने घर पर उसने स्वास्तिक नामक बुटिक खोला. यहां 21 कारीगर कार्यरत हैं. सभी हिंदपीढ़ी, रांची के हैं.
बिना फैशन डिजाइनिंग का कोर्स किये शोभा मेट्रो के फैशन ट्रेंड को अपने अंदाज में तुरंत उतार लेती है. उसने अपने हुनर को महिलाओं के बीच बांटा. उन्हें स्वावलंबी बनाया. इस वर्ष शोभा के बुटिक में मुसलिम कारीगर मां दुर्गा की पोशाक बना रहे हैं. नवरात्र में श्रद्धालु महिलाएं ये पोशाक मां दुर्गा को अर्पित करती हैं.