बोधगया: सूबे का सबसे बड़ा क्षेत्रफल वाला मगध विश्वविद्यालय (एमयू) अब तक चहारदीवारी विहीन है. विश्वविद्यालय परिसर में विभिन्न स्नातकोत्तर विभागों के साथ ही शिक्षकों व कर्मचारियों के लिए आवास भी बने हैं. पर, सुरक्षा के नाम पर चंद निजी सिक्यूरिटी गार्ड को लगा दिये गये हैं. एक तरह से कहा जाये कि एमयू परिसर एक खुले मैदान में है. इसमें प्रवेश करने के लिए दो द्वार बनाये गये हैं.
लोहे का भारी-भरकम गेट भी. लेकिन, परिसर का काफी बड़ा हिस्सा चहारदीवारी विहीन है. कहीं से भी लोग एमयू परिसर में प्रवेश कर सकते हैं व बाहर निकल सकते हैं. सुरक्षा के नाम पर दोनों द्वारों पर निजी सुरक्षा गार्डो को तैनात रखा जाता है. पर, इसका कोई औचित्य नजर नहीं आता है. इतना ही नहीं, परिसर स्थित महिला छात्रवास के पीछे भी कोई बाउंड्री नहीं है. सभी छात्रवासों के पीछे खाली मैदान व खेत हैं. परिसर में रहने वाले लोग इस कारण आशंकित भी रहते हैं. कई बार यहां चोरी की भी घटनाएं भी हो चुकी हैं. चहारदीवारी नहीं होने के कारण परिसर चरागाह बना रहता है.
कुछ दिन ही हुआ काम
विश्वविद्यालय परिसर की चहारदीवारी कराने के लिए राज्य सरकार 2010 में ही करीब तीन करोड़ 87 लाख रुपये एमयू को उपलब्ध करा चुकी है. रुपये मिलने के बाद एक एजेंसी को काम दिया गया व 2011 के नवंबर में काम शुरू हुआ. कुछ दिनों तक काम भी हुआ. तब एमयू के कुलपति डॉ अरविंद कुमार थे. इस मद में लगभग 85 लाख रुपये खर्च हो चुके थे. इसके बाद एमयू के कुलपति के रूप में डॉ अरूण कुमार ने पद संभाला.
बाद में 2012 में काम बंद हो गया व दूसरे एजेंसी की खोज होने लगी. लेकिन जब तक पहले वाली एजेंसी का एकरारनामा रद्द नहीं कर दिया जाता, तब तक दूसरे को काम भी नहीं दिया जा सकता था. इसी चक्कर में अब तक यहां चहारदीवारी का काम पूरा नहीं हो पाया है. एमयू कार्यालय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, रुपये उपलब्ध होने के बावजूद चहारदीवारी का काम नहीं कराने को लेकर उच्च शिक्षा विभाग ने नाराजगी भी जतायी है. विश्वविद्यालय के शिक्षक व कर्मचारी संघ परिसर में चहारदीवारी को सबसे ज्यादा जरूरी बताते हुए कई बार इस पर गुहार लगा चुके हैं.