कोलकाता: राज्य के एक बड़े व प्रतिष्ठित छवि वाले मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में इंडोर के बगैर एक विभाग को चलाया जा रहा है. इंडोर न होने के कारण जहां एक ओर मरीज को परेशानी हो रही है वहीं दूसरी ओर यहां पढ़ने वाले छात्र को भी परेशानी हो रही है. उन्हें मरीजों को भरती रख इलाज करने का मौका नहीं मिल रहा है. आप को बता दे कि यहां हम सियालदह स्थित नील रतन सरकार(एनआरएस) मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल की बात कर रहे है. इस अस्पताल के डॉ सुभाष मुखर्जी भवन स्थित इंडोक्रोनोलॉजी विभाग को बगैर इंडोर के चलाया जा रहा है. इस विभाग के आउटडोर में प्रतिदिन करीब 200 मरीज इलाज करने के लिए पहुंचते हैं. कई बार इससे गंभीर रूप से बीमार मरीजों को भरती होने के लिए दूसरे किसी सरकारी अस्पतालों के चकर लगाने पड़ता है अथवा उन्हें जनरल मेडिसिन आउटडोर में भरती करवा दिया जाता है.
क्या है मामला : 2006 में एनआरएस में इंडोक्रोनोलॉजी को चालू किया गया. उस समय इसे एक यूनिट के रूप में चलाया जाता था. इसके बाद 19 मई 2012 में इसको एक विभाग के रूप में चालू किया गया. इसका उद्घाटन स्वास्थ्य राज्य मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने की. यूनिट से विभाग, तो बना, लेकिन बगैर इंडोर के. अस्पताल सूत्रों की माने ,तो इंडोक्रोनोलॉजी विभाग को चलाने में प्रबंधन के पसीने छूट रहे है. इसे एक विभाग को रूप में चालू ,तो कर दिया गया है,लेकिन यहीं चिकित्सकीय उपकरणों का अभाव है. विभाग में रिसर्च के लिए उपयुक्त व्यवस्था नहीं है. इसके लैब में मरीजों के विभिन्न परीक्षण के लिए उपकरणों का अभाव है. सूत्रों कि माने ,तो इसके लैब में मधुमेह व विभिन्न प्रकार के थाइराइड की संपूर्ण जांच के लिए एचपीएलसी मशीन व कैमिलुशन मशीन है. इसके अलावा इसके वॉयो केमिस्ट विभाग में कर्मियों के अभाव को भी ङोलनी पड़ रही है.
डॉक्टरों की संख्या : इस विभाग में कुल तीन शिक्षक चिकित्सक हैं. इसके डीएम (डॉक्टरेट मेडिसिन) की कोर्स करने वाले छात्रों की संख्या चार है. यह चार वर्ष का कोर्स है.यहां हाउस स्टाफ के तौर पर दो चिकित्सक छात्र भी कार्यरत हैं.
क्या है इंडोक्रोनोलॉजी : इंडोक्रोनोलॉजी साइंस का प्रयोग हॉर्मोनल मेटाबलिजम डिस ऑर्डर, मधुमेह, थाइराइड, मोटापा, व इंफर्टिलिटी(मधुमेह के कारण जिन महिलाओं को बच्चे न हो) जैसे बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है. इंडोक्रोनेलॉजी विभाग की राज्य के कुछ अस्पतालों में ही है. इनमें एसएसकेएम(पीजी), एनआरएस, स्कूल ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन व आरजी कर मेडिकल कॉलेज शामिल है.
क्या कहना है प्रिंसिपल का
अस्पताल के इंडोक्रोनोलॉजी विभाग में इंडोर विभाग न होने के कारण मरीजों को काफी परेशानी हो रही है. इससे यहां पढ़ने वाले छात्र भी परेशान है. इस वर्ष के अंत तक यहां मरीजों के लिए इंडोर विभाग चालू कर दिये जायेंगे.
-श्रीकांत पुरकायस्त, प्रिंसिपल
एनआरएस मेडिकल कॉलेज