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अपनी बात कहने को राबड़ी आजाद, राजद में सब राजा

पटना: लालू प्रसाद के चारा घोटाले में जेल जाने के बाद उनकी पार्टी राजद के नेता ऊहापोह में हैं. अहम सवाल सामने है- लालू प्रसाद लंबे समय में जेल में रहे, तो पार्टी की कमान किसके हाथ होगी? क्या राबड़ी देवी का नेतृत्व पार्टी के वरीय नेताओं को मंजूर होगा. सबके तर्क अलग-अलग हैं? राबड़ी […]

पटना: लालू प्रसाद के चारा घोटाले में जेल जाने के बाद उनकी पार्टी राजद के नेता ऊहापोह में हैं. अहम सवाल सामने है- लालू प्रसाद लंबे समय में जेल में रहे, तो पार्टी की कमान किसके हाथ होगी? क्या राबड़ी देवी का नेतृत्व पार्टी के वरीय नेताओं को मंजूर होगा. सबके तर्क अलग-अलग हैं?

राबड़ी देवी ने सोमवार को कहा था कि वह सोनिया गांधी की तरह अपने बेटों के साथ मिल कर पार्टी चलायेंगी. पार्टी के वरिष्ठ नेता अपने-अपने तरीके से राबड़ी के इस बयान की व्याख्या कर रहे हैं. लालू प्रसाद के नाम पर एकमत होनेवाले नेताओं को राबड़ी का यह बयान पूरी तरह पच नहीं रहा. वैसे सब इस बात पर सहमत हैं कि तीन अक्तूबर को जब लालू प्रसाद को सजा सुनाये जाने के बाद दल के वरिष्ठ नेता बैठ कर लीडरशिप पर चर्चा करेंगे. आगे की रणनीति पर भी फैसला होगा.

इधर, राबड़ी के बयान पर राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने मंगलवार को रांची में कहा कि राबड़ी जी अपनी इच्छा प्रकट कर रही हैं. सबको बोलने की आजादी है. जो रूचता है, बोल रही हैं. रघुवंश प्रसाद सिंह राजद के दूसरे बड़े चेहरे हैं. रांची के बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में लालू प्रसाद से मिलने के बाद रघुवंश प्रसाद सिंह ने तेजस्वी के बारे में भी टिप्पणी की. बोले, तेजस्वी लालू प्रसाद के बेटे हैं. कोई छिन भी नहीं सकता. लेकिन, जहां तक पार्टी की बात है, तो उसे सब मिल कर चलायेंगे. लीडरशिप के सवाल पर श्री सिंह के इस बयान ने भी बहुत कुछ साफ किया कि बहावलपुर में कोई राजा नहीं होता. राजद में एक-एक कार्यकर्ता राजा है. इस बयान का मतलब यह लगाया जा रहा है कि लालू के नाम पर ही पार्टी का सिक्का चलेगा. राबड़ी के नाम पर नहीं. कुछ नेता यह भी कह रहे कि राबड़ी ने अपने बयान को बदल दिया है. अब नये बयान को देखा जाना चाहिए.

कभी लालू प्रसाद के धुर विरोधी रहे और अब खास बने महाराजगंज के सांसद प्रभुनाथ सिंह ने कहा कि लालू प्रसाद हमारे नेता हैं. राबड़ी के लीडरशिप पर उन्होंने कहा-जब लालू हैं, तो दूसरे का सवाल कहां पैदा होता है. प्रभुनाथ ने कहा कि तीन अक्तूबर के बाद एक तिथि की घोषणा होगी. सभी नेता बैठ कर आगे की रणनीति तय करेंगे. माना जा रहा है कि लालू के बिना होनेवाली इस बैठक में राबड़ी देवी और उनके दोनों बेटे भी मौजूद रहेंगे. दूसरी तरफ पूर्व सांसद कांति सिंह ने तेजस्वी यादव के बारे में कहा, वह क्यों नहीं पार्टी चला सकते हैं.

पार्टी के भीतर लालू के खास माने जानेवाले सांसद जगदानंद सिंह कहते हैं- नेतृत्व के नाम पर राजद में कोई उलझन नहीं है. लालू का प्रतीक कौन होगा, बाद में देखा जायेगा. जगदानंद तर्क देते हैं- राज्य के 20 बड़े नेताओं में 15 तो राजद के पास ही हैं. ऐसे में पार्टी कमजोर नहीं हुई है. लालू प्रसाद ने आगे क ी रणनीति तय कर दी है.

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