नामकुम: भारतीय प्राकृतिक राल एवं गोंद संस्थान नामकुम में सोमवार को हिंदी दिवस समारोह का आयोजन किया गया. इस दौरान मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ पत्रकार मधुकर ने कहा कि हिंदी की दशा और दिशा को बदलने में दृश्य मीडिया व पत्रकारिता का अहम योगदान रहा है, जबकि आजादी के बाद से ही नौकरशाहों ने अंग्रेजी को जानबूझ कर पकड़े रखा, ताकि आम लोगों से एक दूरी बनी रही़ कुछ इसी दिशा में सीबीएसई पैटर्न में अब हिंदी को ऐच्छिक विषय बना कर रख दिया गया है. इतना ही नहीं, शुद्घ हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा देना भी हिंदी को पीछे रखने के लिए जिम्मेवार है़.
चीन,जर्मनी, जापान जैसे देशों में विज्ञान तक विद्यार्थियों को उनकी अपनी भाषा में पढ़ाई जाती है. हिंदी के पिछड़ेपन के लिए हमारी मानसिकता दोषी है व हमें पहले अपने आप में बदलाव लाना होगा़ विशिष्ट अतिथि के रूप में रांची कॉलेज की प्राध्यापक डॉ यशोधरा राठौड़ ने कहा कि हिंदी हमारी राजभाषा तो बन गयी, पर यह संयुक्त राष्ट्रसंघ की भाषा नहीं बन सकी है़.
उन्होंने हिंदी को बल प्रदान करने के लिए हिंदी शिक्षण, पत्रकारिता, प्रशासन, विधि कार्यों को हिंदी में करने की बात कही़ संस्थान के निदेशक डॉ रंगनातन रमणि ने अतिथियों का स्वागत किया. वहीं हिंदी चेतना माह के अवसर पर संस्थान में आयोजित विभिन्न प्रतियोगिता के विजयी वैज्ञानिकों तथा कर्मचारियों को पुरस्कृत भी किया गया. कार्यक्रम के दौरान संस्थान की राजभाषा पत्रिका लाक्षा का लोकार्पण किया गया. मौके पर हार्प के प्रधान वैज्ञानिक डॉ शिवेंद्र कुमार, इएसआइ अस्पताल के अधीक्षक डॉ अरुण कुमार शर्मा, डॉ अंजेश कुमार, डॉ महताब जाकरा सिद्दीकी व डॉ केके शर्मा शामिल थे.