कोलकाता: पश्चिम बंगाल में दुर्गापूजा सबसे बड़ा त्योहार है. यहां दुर्गापूजा की छटा देखते ही बनती है. हर साल देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु यहां पूजा में पहुंचते हैं. वे विभिन्न पूजा पंडालों के अद्भुत दृश्य देखने को लालायित रहते हैं. विभिन्न थीमों व देश-विदेश के विभिन्न नामी-गिरामी स्थानों के तर्ज पर बनाये गये पंडाल दर्शकों को बरबस ही अपनी ओर खींचते हैं.
राजधानी कोलकाता व इससे सटे आस-पास के जिलों हावड़ा, हुगली आदि में भी विभिन्न क्लबों द्वारा धूमधाम से पूजा का आयोजन किया जाता है. मां दुर्गा के स्वागत के लिए आयोजकों में प्रतिस्पर्धा चरम पर रहती है. कहीं केदारनाथ मंदिर, तो कहीं अक्षरधाम मंदिर के तर्ज पर पंडाल बन रहा है. कहीं ताजमहल, तो कहीं विक्टोरिया मेमोरियल जैसा पंडाल बन रहा है.
उत्तराखंड त्रसदी और कश्मीर की वादियों को भी दर्शाने की कोशिश की जा रही है. यानी प्रत्येक पूजा कमेटी श्रद्धालुओं को कुछ अलग दिखाने की कोशिश कर रही है. ऐसी ही पूजा कमेटियों में शामिल है हावड़ा का बेंटरा सम्मिलनी क्लब (चटर्जी पाड़ा). अपने पूजा आयोजन के 75वें साल यानी प्लेटिनम जुबली वर्ष में क्लब श्रद्धालुओं को कुछ अलग दिखाने का दावा कर रहा है. यहां के पंडाल में नाटक मंचन का अद्भुत दृश्य दिखेगा. क्लब के मीडिया सचिव अर्पण दत्ता ने बताया कि इस बार थीम टैगलाइन ‘शुभो काजे जात्र पुजोई नतून मात्र’ है. यानी 75वें साल पर यहां एक अलग अंदाज में नाटक मंचन के रूप में पंडाल का दृश्य दिखेगा.
जात्र यानी नाटक के रूप में दुर्गा के सभी रूपों के दर्शन होंगे. पंडाल में बंगाल के ग्रामीण परिवेश की झलक भी दिखेगी. प्रसिद्ध थीम मेकर भवतोष सुतार के नेतृत्व में लगभग 40-45 लोग पंडाल निर्माण के कार्य में दिन-रात लगे हैं. आयोजन की सफलता में प्रेसिडेंट संजीव सेन, अर्क सरकार, युद्धजीत राय, सौरभ नंदी सहित क्लब के अन्य सदस्य सक्रिय हैं. यह पंडाल हावड़ा के टिकियापाड़ा रेलवे स्टेशन के समीप बन रहा है.