राहुल गांधी वर्तमान में भारतीय युवाओं में सबसे लोकप्रिय नेताओं में से हैं, जो कि हमेशा शीत युद्धवाली मुद्रा में रहते हैं. कभी जुबान खोली भी, तो सिर्फ अंगारे बरसाये हैं. मैं प्रिय नेता राहुल जी से यह गुजारिश करना चाहता हूं कि गुस्सा काम बिगाड़ता है, संवारता नहीं.
अगर उन्हें देश में कुछ परिवर्तन लाना ही है, तो सही मौके पर क्यों नहीं कुछ कहते. दामिनी कांड या फिर देश में हमले की बात हो, तब उन्हें गुस्सा क्यों नहीं आया? यह भी हो सकता है कि उनका बेवक्त गुस्सा खुद की पार्टी की गलतियों को छुपाने के लिए हो? वजह चाहे कुछ भी हो, लेकिन राहुल जी का यह बेवक्त गुस्सा उनकी पार्टी के लिए रामबाण साबित हो रहा है.
पार्टी के खिलाफ जाकर राहुल जी लोगों के मन में अपने लिए सहानुभूति पैदा कर रहे हैं, ताकि चुनाव के वक्त ज्यादा से ज्यादा वोट उन्हें ही मिले.
(सूरज झा, रांची)