बेतियाः न बहाली हुई और न कभी अनुबंध ही हुआ, फिर भी जिला परिवहन कार्यालय में कुछ लोग बतौर कर्मचारी काम कर रहे हैं.
शायद आपको सुनने में कुछ अटपटा जरूर लगा होगा, लेकिन यह सच्चई है. एक या दो साल से नहीं बल्कि कई वर्षो से कार्यरत ऐसे चेहरे हैं, जिसे सरकारी तौर पर परिवहन कार्यालय का कर्मचारी पूरा जिला मान चुका है. इनमें सुजायत अंसारी, मनोज वर्मा, मनमोहन प्रसाद वर्मा व सुधीर कुमार का नाम शामिल है. इससे भी चौंकाने वाली बात यह है कि जब इन लोगों के बारे में मोटरयान निरीक्षक राकेश कुमार से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन्हें इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है. जब एक-एक कर उन गैर सरकारी कर्मचारियों के नाम उनके समक्ष रखे गये तो उन्होंने कहा उनके यहां आने से पहले इस कार्यालय में ये लोग काम कर रहे हैं. इन्हें कौन रखा है, नहीं बता सकते हैं?
चलाते हैं कार्यालय
ये लोग सिर्फ कार्यालय आते-जाते नहीं है, बल्कि डीटीओ कार्यालय इनके भरोसे ही चलता है. सुजायत अंसारी बड़ा बाबू की कुरसी पर अपना दबदबा बनाये हैं.ये कार्यालय में आने वाले डाक के कागजात की देखरेख करते हैं. वहीं मनमोहन व मनोज वर्मा गाड़ी के ट्रांसफर का कार्य करते हैं. सुधीर कुमार लर्निग व ड्राइविंग लाइसेंस की फाइलों का निबटारा हैं.
देना पड़ता है नजराना
जिला परिवहन कार्यालय डीएम, एसपी व एसडीएम के कार्यालय काफी सटा हुआ है. फिर आज तक किसी पदाधिकारी ने इस मामले की जांच नहीं की. जबकि प्रतिदिन इस तरह का नजारा दिखता है. बिना किसी वेतन व मानदेय के गैर सरकारी कर्मी किस तरह काम करते हैं? सूत्रों की माने तो लोगों से ये गैर सरकारी कर्मचारी बिना नजराना काम नहीं करते हैं.
वसूली करता था चपरासी
जिला परिवहन कार्यालय में ऐसे कई कारनामों को लेकर पहले से ही सुर्खियों में रहा है. लगभग तीन वर्ष पहले इसी कार्यालय में पदस्थापित तत्कालीन चपरासी इंदू प्रकाश थे. उसे पूर्व एसडीपीओ सुशांत सरोज ने मछली लोक के समीप डीटीओ बन कर गाड़ियों की धर पकड़ करने के आरोप में गिरफ्तार किया था.यह मामला काफी उस वक्त काफी चर्चित था.