राजीव रंजन, छपरा: मौसम की बेरुखी से खरीफ फसल के दौरान किसानों की उम्मीद खत्म हो चुकी है, वहीं अल्प वृष्टि का असर रबी फसल पर भी पड़ने की आशंका सता रही है. हालांकि सरकार द्वारा जिले को सूखाग्रस्त घोषित किया गया है. परंतु, विगत तीन माह में औसत बारिश से महज 40 फीसदी बारिश हुई है.
इसके बावजूद किसानों ने अंत-अंत तक निर्धारित लक्ष्य 86 हजार हेक्टेयर के बदले 76 हजार 918 हेक्टेयर में धान की रोपनी की. उनके समक्ष मुख्य चिंता अब यह है कि आखिर किराये के निजी बोरिंग से किस प्रकार अपने खेतों में लगी धान की फसल की सिंचाई करें.
व्यवस्था असंतोषजनक
विगत पांच वर्षो से हर बार सूखा पड़ने की स्थिति में टास्क फोर्स की बैठक में सिंचाई के संसाधनों को बेहतर करने की नसीहत जिला पदाधिकारी स्तर से दी जाती है. परंतु किसानों के लिए निजी नलकूप ही एकमात्र सहारा है, जो काफी खर्चीला है. हर बार सरकारी नलकूप के संबंध में टास्क फोर्स की बैठक में 208 सरकारी नलकूपों में से 50 से 55 के ही ठीक होने के आंकड़े प्रस्तुत होते हैं.
इस बार भी 53 नलकूप के चालू होने का दावा प्रशासन कर रहा है. परंतु कभी पूरे नलकूपों, नालियों की मरम्मत, विद्युत संबंध जोड़ कर चलाने की सार्थक पहल नहीं की गयी. हालांकि सरकार के निर्देश के आलोक में डीएम कुंदन कुमार के निर्देश पर जिले में पर्याप्त विद्युत की आपूर्ति हो रही है. परंतु, महज 53 सरकारी नलकूप के अलावा दो से तीन फीसदी निजी नलकूप ही विद्युत से जुड़े हुए है. ऐसी स्थिति में सस्ती सिंचाई की कल्पना किसानों के साथ बेमानी है. वहीं नहरों की व्यवस्था सुदृढ़ नहीं होने के कारण कई गांवों में नहर होने के बावजूद ग्रामीणों को सिंचाई का लाभ नहीं मिलता. एक ओर जिले के दर्जन भर प्रखंड सूखे से तबाह हैं. वहां की अधिकांश धान की फसल पीली पड़ रही है. वहीं, सोनपुर, दिघवारा, सदर, रिविलगंज, मांझी, गड़खा के सैकड़ों गांवों की हजारों हेक्टेयर में लगी धान की फसल बाढ़ के कारण बरबाद हो गयी. खेतों में दरारें पड़ गयी हैं.
क्षति का आकलन जारी
जिले में बाढ़ एवं सुखाड़ से हुई क्षति का आकलन कृषि विभाग के द्वारा किया जा रहा है. सरकार ने भी रबी फसल की रोपनी से पूर्व फसल क्षति का भुगतान करने का आश्वासन दिया है. जिले में अब तक 32 हजार किसानों के बीच 1.01 करोड़ रुपये डीजल सब्सिडी के वितरण किये जा चुके हैं. हालांकि, राशि 6.25 करोड़ उपलब्ध हो चुकी है.