मुजफ्फरनगर: उत्तरप्रदेश में सांप्रदायिक हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में लोगों की पीड़ा से जुड़ी कहानियों के बीच कुछ विस्थापित लोगों के लिए खुशी के क्षण भी सामने आए जब मुस्तफाबाद गांव का राहत शिविर विवाह स्थल में बदल गया.शामली जिले के पास मुस्तफाबाद गांव में राहत शिविर में 21 वर्षीय अलीम ने 19 वर्षीय शबाना से […]
मुजफ्फरनगर: उत्तरप्रदेश में सांप्रदायिक हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में लोगों की पीड़ा से जुड़ी कहानियों के बीच कुछ विस्थापित लोगों के लिए खुशी के क्षण भी सामने आए जब मुस्तफाबाद गांव का राहत शिविर विवाह स्थल में बदल गया.शामली जिले के पास मुस्तफाबाद गांव में राहत शिविर में 21 वर्षीय अलीम ने 19 वर्षीय शबाना से विवाह किया. दोनों दंगों के दौरान विस्थापित हुए और अभी राहत शिविर में हैं.
दोनों का विवाह उनके परिवार वालों ने दंगे से 15 दिन पहले तय किया था. लेकिन दंगे के कारण दोनों परिवारों को अपनी जान बचाने के लिए अपने अपने गांव से भागना पड़ा था.अलीम के परिवार को नाला गांव से अपना घर छोड़कर भागना पड़ा और कंधला गांव में राहत शिविर में शरण लेनी पड़ी जबकि शबाना के परिवार को बागपत में कुरथला गांव में अपने घर से भागना पड़ा और मुस्तफाबाद गांव में राहत शिविर में शरण लेनी पड़ी.जिन परिस्थितियों में दोनों परिवारों को अपना घर छोड़कर भागना पड़ा था ऐसे में विवाह इनके लिए प्राथमिकता नहीं थी. लेकिन इन्हें क्या पता था कि किस्मत को क्या मंजूर है?दोनों परिवार मुस्तफाबाद गांव में मिले और नियत तिथि से चार दिन पहले विवाह को आगे बढ़ाने का निर्णय किया.
एक बार विवाह पर निर्णय हो जाने के बाद गांव का पूरा समुदाय एक परिवार के रुप में विवाह में शामिल हुआ. आस मोहम्मद ने गांव में अपने घर को विवाह कार्यक्रम के लिए उपलब्ध कराया. समुदाय के लोगों ने कपड़े मुहैया कराये.