रांची: पाकुड़ जिले में धान-चावल खरीद में डेढ़ करोड़ रुपये से अधिक की गड़बड़ी का खुलासा हुआ है. जिले के उपायुक्त ने इसकी रिपोर्ट सरकार कोभेजी है. सहकारिता विभाग संबंधित लोगों पर कार्रवाई की तैयारी कर रहा है. उपायुक्त ने दो जांच टीम गठित कर मामले की जांच करायी थी. मामला पाकुड़ के तिलभीट्टा लैंपस से जुड़ा है. यहां खरीफ-12 की धान अधिप्राप्ति में व्यापक गड़बड़ी की सूचना के बाद इसकी जांच करायी गयी. इसमें पता चला कि तत्कालीन जिला सहकारिता पदाधिकारी चंदेश्वर कापर (अभी एक दूसरे मामले में निलंबित) ने किसानों के हित के नाम पर न्यूनतम समर्थन मूल्य पर हुई धान खरीद में भारी हेराफेरी की है. उपायुक्त की रिपोर्ट के अनुसार श्री कापर ने तिलभीट्टा लैंपस के सदस्य सचिव जिया उल अंसारी को अपने प्रभाव में लेकर यह काम किया है. किसानों से खरीदे गये धान से उसना चावल बना कर एफसीआइ को देना है. इसके लिए सरकार ने सक्षम मिलों को चिह्न्ति व संबद्ध किया है. इसकी सूची जिलों को उपलब्ध करा दी गयी थी.
इधर, कापर व अंसारी ने सरकार द्वारा चिह्न्ति मिल शाकंभरी राइस मिल, महेशपुर के बदले मां एग्रो फूड प्रोडक्टस, बभनगामा को अपने स्तर से धान दे दिया. सरकार ने तिलभीट्टा लैंपस को खरीफ-12 की धान खरीद के लिए 2.21 करोड़ रुपये उपलब्ध कराया था.
इसमें से 65.57 हजार रु सरकार को लौटा दिया. शेष रकम से 17628 क्विंटल धान मिलना चाहिए था, लेकिन लैंपस के गोदाम व संबंधित राइस मिल में धान-चावल कम मिले. मिल को 8637.38 क्विंटल धान दिया गया, लेकिन वहां सिर्फ 1810 क्विंटल उसना चावल मिला. इस तरह कुल धान का 68 फीसदी चावल के हिसाब से मिल में 3054.39 क्विंटल चावल नहीं मिला. इसकी कीमत लगभग 57.52 लाख होती है. दूसरी बड़ी गड़बड़ी यह मिली कि मां एग्रो फूड राइस मिल में उसना चावल बनाने का न तो कोई बॉयलर था और न ही उबला धान सूखाने की कोई जगह. इस तरह वहां मौजूद उसना चावल कहीं बाहर से लाकर रखा गया था.
जांच टीम जब मिल पहुंची, तो इसका मालिक दिलीप कुमार आर्य वहां मौजूद नहीं था. उधर तिलभीट्टा लैंपस में भी करीब 9670 क्विंटल धान कम पाया गया, जिसकी कीमत लगभग 1.20 करोड़ होती है. मिल व लैंपस गोदाम से गायब धान-चावल कहां है, इसका पता नहीं है. उपायुक्त ने श्री कापर के खिलाफ कठोर कार्रवाई की अनुशंसा की है.