पिछले दिनों यासीन भटकल की गिरफ्तारी की खबर के साथ एक रिपोर्ट दिखी. शीर्षक था ‘नौकरी का झांसा देकर बना देता था आतंकवादी.’ दरअसल आज के परिप्रेक्ष्य में यह हमारे समाज के लिए आईना है, जो हमारे भीतर बसी बदसूरती को दिखाता है.
और बेरोजगारी तो वह दाग है, जिसकी चपेट में आकर हमारी युवा पीढ़ी भटक गयी है. इसका फायदा यासीन भटकल जैसे आतंकवादी उठाते हैं. इससे पता चलता है कि हमारी राजतांत्रिक व्यवस्था कितनी कमजोर है. कभी आतंकवाद, तो कभी उग्रवाद, दोनों मिल कर हमारे देश को खोखला कर रहे हैं.
यहां हमारी पुलिस की कामयाबी काबिल-ए-तारीफ है, जिसने सुनियोजित तरीके से इतने बड़े आतंकी को गिरफ्तार किया है. फिर भी यह पहली ही सीढ़ी कही जायेगी, पता नहीं कितने यासीन भटकल युवाओं को गुमराह कर रहे हैं. बेबी सिंह, गोमो, धनबाद