भागलपुर: तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक डॉ मधुसूदन झा को पदमुक्त करने के हाइकोर्ट के साथ-साथ कुलपति को केवल रूटीन वर्क करने का आदेश दिया गया है.
इसके बाद से विश्वविद्यालय में इस बात पर मंथन होने लगा है कि आखिर रूटीन वर्क में कौन-कौन से काम आते हैं और कौन काम रूटीन वर्क में नहीं आते. इस असमंजस पर विराम लगाते हुए कुलपति डॉ एनके वर्मा ने बताया कि हाइकोर्ट के आदेश को ध्यान में रखते हुए लंबी अवधि के लिए कोई भी निर्णय लेने से वे परहेज करेंगे. कोई भी निर्णय स्वतंत्र रूप से नहीं लेंगे.
अगर निर्णय लेना बहुत जरूरी होगा, तो संबंधित कमेटी या निकाय के निर्णय के आधार पर ही काम किया जायेगा. कुलपति ने बताया कि कमेटी में किसी प्रस्ताव को ले जाने के पीछे उद्देश्य यह है कि ऐसा न हो कि विश्वविद्यालय का चक्का जाम हो जाये. उन्होंने कहा कि अभी स्पष्ट नहीं है कि रूटीन वर्क क्या है. लेकिन सिंडिकेट व अन्य निकाय के निर्णय पर काम तो किया ही जा सकता है. उन्होंने बताया कि समिति के निर्णय पर अगर किसी प्राचार्य की जांच होगी और दोष साबित हो जाता है, तो डिसीजन तो लेना ही होगा. इसे रूटीन वर्क से अलग कैसे कर सकते हैं. डॉ वर्मा का कहना था कि रिसर्च मैथडोलॉजी कोर्स लागू करने का निर्णय उन्होंने ही लिया था.
इसे जारी तो रखना ही होगा. सिलेबस को फ्रेम में लाना जरूरी है. इसे आगे नहीं बढ़ायेंगे, तो बहुत मुश्किल हो जायेगी. हां, स्वतंत्र होकर कोई फैसला नहीं करेंगे. अगर किसी की मौत हो जाती है, तो अनुकंपा कमेटी नौकरी देने का फैसला लेगी. परिस्थिति की मांग को देखते हुए कोई भी काम संबंधित कमेटी के द्वारा करेंगे. अगर कमेटी सजेस्ट नहीं करेगी तो वो काम नहीं करेंगे.