रांची:झारखंड के जनजातीय समुदाय में लड़कियां या महिलाओं की संख्या पुरुषों या लड़कों की तुलना में बढ़ रही है. वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार इस समुदाय में महिलाओं की संख्या तेजी से बढ़ी है. इससे राज्य के 14 जिलों में महिलाओं की संख्या प्रति हजार पुरुषों से अधिक हो गयी हैं. वर्ष 2001 में राज्य के तीन जिले साहेबगंज, पश्चिम सिंहभूम व सिमडेगा में ही महिलाओं की संख्या प्रति हजार पुरुषों से अधिक थीं.
संताल परगना प्रमंडल के एक जिले को छोड़ कर शेष पांच जिलों में महिलाओं की संख्या पुरुषों से बढ़ गयी है. सिर्फ देवघर में एक हजार पुरुष पर 988 महिलाएं हैं. वहीं, सिमडेगा राज्य का एकमात्र ऐसा जिला है, जहां 10 वर्ष में प्रति हजार पुरुषों पर महिलाओं की संख्या कम हुई है. पहले यहां प्रति हजार पुरुषों पर 1013 महिलाएं थी. अब प्रति हजार पुरुषों पर 1006 महिलाएं ही रह गयी हैं. दरअसल जनजातीय समुदाय में हमेशा से स्त्री-पुरुष की समानता रही है. श्रम व जीविकोपाजर्न में महिलाओं की भूमिका पुरुषों से कम नहीं है. जानकारों के अनुसार शिक्षा व जागरूकता बढ़ने से इसमें और इजाफा हुआ है.
14 जिलों में लिंग अनुपात हजार से अधिक
पाकुड़ में यह अनुपात सर्वाधिक 1027 प्रति हजार पुरुष
कोडरमा में सबसे कम 921 प्रति हजार पुरुष
सिमडेगा अकेला जिला, जहां लिंग अनुपात घटा
वर्ष 2001 : कुल जनजातीय आबादी- 7087068. महिला-3521108, पुरुष-3565960 (लिंग अनुपात-987/हजार पुरुष)
वर्ष 2011 : कुल जनजातीय आबादी- 8645042. महिला-4329635, पुरुष-4315407 (लिंग अनुपात-1003 हजार पुरुष)