नयी दिल्ली: लश्कर-ए-तय्यबा के बम विशेषज्ञ अब्दुल करीम टुंडा को दिल्ली की एक अदालत ने आज उस समय सात दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया, जब जांच अधिकारियों ने कहा कि पाकिस्तानी नागरिकों के अवैध घुसपैठ में कथित तौर पर उसकी मदद करने वालों की पहचान किया जाना अभी बाकी है.
वर्ष 1997 में विभिन्न बम विस्फोटों और पाकिस्तानी नागरिकों की भारत में घुसपैठ करने में कथित तौर पर मदद करने के सिलसिले में चार दिन की पुलिस हिरासत समाप्त होने पर टुंडा को मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अमित बंसल के समक्ष पेश किया गया.
पुलिस ने कहा कि पिलखुआ में सांप्रदायिक तनाव के कारण जब वह उनकी हिरासत में था तब वे शहर के भीतर नहीं जा सके. उन्होंने यह भी कहा कि टुंडा का गिरफ्तार किए गए सह आरोपी अलाउद्दीन और मोहम्मद जकारिया से सामना कराया जाना है और अन्य आरोपियों को पकड़ने के लिए उसे पश्चिम बंगाल भी ले जाना है.
अदालत ने कहा, ‘‘दरअसल, इन दलीलों और रिकॉर्ड के मद्देनजर आरोपी को सात दिन के लिए पुलिस हिरासत में रिमांड पर भेजा जाता है और 18 सितंबर को उसे अदालत में पेश करना होगा.’’ पुलिस ने अपने आवेदन में कहा था कि हिरासत में पूछताछ के दौरान टुंडा ने खुलासा किया था कि मौलवी निजाम और मोहम्मद बसीरुद्दीन ने भारत-बांग्लादेश सीमा पर पाकिस्तानी और बांग्लादेशी नागरिकों की अवैध घुसपैठ कराने में उसकी मदद की थी. उन्हें इन बम विस्फोट मामलों के सिलसिले में इससे पहले गिरफ्तार किया गया था.