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सोचने से नहीं होगा काम करना होगा

।। दक्षा वैदकर ।। कुछ साल पहले की बात है. मेरे एक बहुत आलसी परिचित को नौकरी नहीं मिल रही थी. उसकी मम्मी ने उसे एक पंडित से अंगूठी ला कर दी और कहा कि इसे पहने ले. उसने भी पहन ली. अब वह निश्चिंत हो गया. जब भी किसी कंपनी में इंटरव्यू देने की […]

।। दक्षा वैदकर ।।

कुछ साल पहले की बात है. मेरे एक बहुत आलसी परिचित को नौकरी नहीं मिल रही थी. उसकी मम्मी ने उसे एक पंडित से अंगूठी ला कर दी और कहा कि इसे पहने ले. उसने भी पहन ली. अब वह निश्चिंत हो गया. जब भी किसी कंपनी में इंटरव्यू देने की बारी आती, वह बिना तैयारी के ही चला जाता.

उसे लगता कि अंगूठी है हाथों में. लग जायेगी नौकरी. कई महीनों तक यही चला. उसे नौकरी नहीं लगी. उसने घर पर गुस्सा करना शुरू कर दिया. मां ने दूसरी अंगूठी पहना दी. यह कह कर कि इसे पहनने से तुम्हें गुस्सा नहीं आयेगा. उसने वह अंगूठी भी पहन ली. लेकिन फिर भी गुस्सा करना जारी रहा.

वह बारबार अपनी अंगूठियों को देखता और मां को कोसता कि ये अंगूठी असर ही नहीं कर रही. आखिरकार उसने अंगूठी उतार दी. इस बात को काफी समय बीत गया. कुछ दिनों बाद किसी परिचित ने अपनी सिफारिश से उसकी नौकरी लगा दी. नौकरी को डेढ़ साल हो गया. अभी चार महीने पहले उसने यह सोचा कि उसका प्रोमोशन नहीं हो रहा है. उसने फिर एक अंगूठी पहन ली है.

अब वह राजा की तरह बस बैठे रहता है. कोई काम नहीं करता और सोचता है कि प्रोमोशन हो जायेगा. भला काम करना भी क्यों? अंगूठी है अपने पास.

इस व्यक्ति की ही तरह ऐसे कई लोग हैं, जो काम नहीं करना चाहते, मेहनत नहीं करना चाहते, खुद का स्वभाव ठीक नहीं करना चाहते. वे सोचते हैं कि सिर्फ अंगूठी पहन लेने से सारे काम हो जायेंगे. यहां मैं यह नहीं कह रही कि अंगूठी पहनना फायेदमंद नहीं है. आप इसे पहन सकते हैं.

लेकिन यह मान लेना कि सारा काम ही अंगूठी कर देगी, यह गलत है. इसके लिए आपको कर्म करना होगा. यह ठीक वैसी ही बात है कि आप खाने की थाली देख कर सोचें कि खाना खुदखुद आपके मुंह में जायेगा और आपका पेट भर जायेगा. नहीं, ऐसा नहीं होगा.

दरअसल, अंगूठी आपकी ऊर्जा को बढ़ाती है. आपको यह बारबार याद दिलाती है कि आपको गुस्सा नहीं करना है, आपको कर्म करना है, आपको आगे बढ़ने का प्रयास जारी रखना है. यदि आप अंगूठी पहनने के इस उद्देश्य को ही भूल जायेंगे, तो अंगूठी एक आभूषण बन कर रह जायेगी. अंगूठी का असर तभी होगा, जब आप उसके मुताबिक कर्म करेंगे.

बात पते की..

– ऑफिस जा कर दिन भर मंदिर में बैठना और भगवान से प्रार्थना करनामेरी तरक्की कर दो, प्रसाद चढ़ाऊंगा. खुद के साथ धोखा करना है.

भगवान भी उसी का साथ देते हैं, जो कर्म करता है. इसलिए बेहतर है कि हम सबसे पहले अपने काम पर ध्यान दें. अपने व्यवहार पर ध्यान दें.

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