संसद में कुछ समय से लगातार प्रधानमंत्री के स्पष्टीकरण की मांग हो रही थी, खासकर कोल ब्लॉक की गायब फाइलों तथा रुपये के अवमूल्यन के संदर्भ में. लिहाजा जवाब में राज्यसभा में उनका भाषण आया जो इन सवालों के उत्तर में था.
इसमें उन्होंने मार्मिक अपील ही ज्यादा की, बनिस्पत किसी ठोस कदम या आशान्वित भविष्य की चर्चा के. वे संसद में प्रधानमंत्री को चोर कहे जाने पर मर्माहत दिखे, पर उन्हें दिलेरी से स्वीकार करना चाहिए था कि लूट करनेवालों के प्रति सरकार का रवैया नरम है.
क्या वे सरकार के मुखिया नहीं हैं? कोल ब्लॉक की गायब फाइलों के बारे में उन्होंने कहा कि वे उन फाइलों के रखवाले नहीं है? क्या वे प्रधानमंत्री पद के अधिकार और कर्तव्यों से अवगत नहीं हैं? क्या वे बतायेंगे कि उन फाइलों का रखवाला तब कौन है? क्या वे अपना पल्ला नहीं झाड़ रहे?
डॉ हेम श्रीवास्तव, बरियातु, रांची