मुंबई : मुंबई की उपनगरीय ट्रेनों में 11 जुलाई 2006 को हुए श्रृंखलाबद्ध बम विस्फोटों की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से कराने की मांग करते हुए बंबई उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दाखिल की गई है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि राज्य के आतंकवाद निरोधक दस्ते ने इस मामले में मुसलमानों के खिलाफ झूठे सबूत तैयार किए हैं.
5 सितंबर को दाखिल इस याचिका में 13 आरोपियों के खिलाफ मकोका की विशेष अदालत में चल रही सुनवाई पर स्थगन जारी करने की मांग की गई है. आरोप है कि ये 13 आरोपी प्रतिबंधित ‘‘स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया’’ (एसआईएमआई) के सदस्य हैं और 11 जुलाई 2006 को उपनगरीय ट्रेनों में हुए विस्फोटों में लिप्त थे.याचिका में राष्ट्रीय जांच एजेंसी को यह आदेश देने की मांग की गई है कि वह उपनगरीय ट्रेनों में हुए विस्फोटों की दोबारा जांच करे, इस मामले में गिरफ्तार 13 आरोपियों को रिहा किया जाए और उनके खिलाफ सुनवाई पर रोक लगाई जाए.
जनहित याचिका में कहा गया है ‘‘महाराष्ट्र पुलिस के अलग अलग प्रभागों ने 11 जुलाई के इन विस्फोटों के बारे में अलग अलग समय पर अलग अलग बातें कही हैं.’’ इसमें कहा गया है कि वर्ष 2006 में हुए मालेगांव विस्फोटों के सिलसिले में भी आतंकवाद निरोधक दस्ते ने कई मुसलमानों को गिरफ्तार किया था. अब एनआईए का कहना है कि मालेगांव विस्फोटों के पीछे कुछ हिंदू कट्टरपंथियों का हाथ था.