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कैग ने की इसरो की खिंचाई

नयी दिल्ली : नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने सैटकाम नीति का उल्लंघन करके भारतीय उपग्रहों के लिए निर्धारित कक्षा को विदेशी उपग्रह प्रदाताओं के उपग्रह रखने की अनुमति देने और विदेशी कंपनी को गैर वाजिब फायदा पहुंचाने पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की खिंचाई की. कैग ने वैज्ञानिक एवं पर्यावरणमंत्रालयएवं विभागों से जुड़ी […]

नयी दिल्ली : नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने सैटकाम नीति का उल्लंघन करके भारतीय उपग्रहों के लिए निर्धारित कक्षा को विदेशी उपग्रह प्रदाताओं के उपग्रह रखने की अनुमति देने और विदेशी कंपनी को गैर वाजिब फायदा पहुंचाने पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की खिंचाई की.

कैग ने वैज्ञानिक एवं पर्यावरणमंत्रालयएवं विभागों से जुड़ी अपनी नवीनतम रिपोर्ट में एडुसेट कार्यक्रम के संबंध में 22 राज्यों को बैंडविड्थ के आवंटन में अनियमितता और लनि कार्यक्रम की निगरानी एवं मूल्यांकन में खामियों को उजागर किया है.

रिपोर्ट में कुछ वैज्ञानिक संस्थाओं में खरीद एवं प्रबंधन प्रणाली से जुड़े अनुबंध में कमियों की ओर भी इशारा किया गया है. विदेशी उपग्रह के मुद्दे पर कैग ने कहा कि आडिट के क्रम में यह पाया गया कि इसरो ने अंतरराष्ट्रीय निजी उपग्रह संगठन इंटेलसेट को उसके उपग्रह को 55 कक्षा में स्थापित करने की अनुमति दी.

कैग ने कहा, ‘‘ यह स्पष्ट है कि भारतीय प्रशासन के समन्वय वाले कक्षा का उपयोग भारतीय उपग्रह को करना था. भारतीय स्थान को विदेशी उपग्रह को देने की अनुमति देकर इसरो ने देश के सैटकाम नीति के साथ अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ रेडियो नियमन का भी उल्लंघन किया है.’’ कैग ने कहा कि इस तरह से विदेशी कंपनी को अनावश्यक फायदा पहुंचाया गया.

रिपोर्ट के अनुसार, इसरो ने फरवरी 2003 से फरवरी 2004 के बीच एक वर्ष के दौरान इंटेलसैट को 16 ट्रांसपोंडर लीज पर दिये जो 2003 के बाद से भारतीय उपग्रह इंसैट 2डीटी के काम करना बंद करने के बाद सेवा जारी रखना सुनिश्चित करने के लिए था. इसके बाद विदेशी उपग्रह को इंसैट 2डीटी कक्षा में स्थानांतरित कर दिया गया.

कैग ने कहा कि हालांकि इनसैट 2डीटी उपग्रह के स्थान पर इसरो ने सितंबर 2003 में उपग्रह प्रक्षेपित किया लेकिन इसरो ने इंटेलसेट उपग्रह आईएस 702 को उसी स्थान पर काम करना जारी रखने की अनुमति दी.

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