अहमदाबाद: सामाजिक कार्यकर्ता और नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटेकर ने आज एक स्थानीय अदालत में कहा कि 2002 के दंगों के बाद एक सार्वजनिक बैठक के दौरान साबरमती आश्रम पर हमला करना मेरी हत्या का ‘‘षड्यंत्र’’ था.
पाटेकर ने 11 वर्ष पहले हुई घटना की शिकायत के सिलसिले में आज मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ए. एस. देसाई के समक्ष गवाही दी.अदालत में जिरह के दौरान उन्होंने बार-बार कहा, ‘‘मेरा मानना है कि यह प्रकरण मेरी हत्या की साजिश थी. कई लोगों ने यह षड्यंत्र रचा.’’ दंगों की निंदा के लिए सात मार्च 2002 को हुई आम बैठक के दौरान अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के कार्यकर्ताओं ने पाटकर की उपस्थिति की निंदा की और कथित रुप से उन पर एवं अन्य प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ताओं पर हमला किया. इस दौरान मीडियाकर्मियों सहित कई लोग जख्मी हो गए थे.पाटेकर ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराने के अलावा मजिस्ट्रेट की अदालत में निजी शिकायत दर्ज कराई.
तीन घंटे से ज्यादा चली जिरह में पाटकर ने कहा कि वहां मौजूद सभी पुलिसकर्मी उन पर हो रहे हमले के दौरान सिर्फ देखते रहे.पाटकर ने चार आरोपियों अहमदाबाद के पूर्व महापौर अमित शाह, भाजपा नेता अमित ठक्कर, वी. के. सक्सेना और रोहित पटेल की पहचान की जो अदालत में मौजूद थे. उन्होंने अदालत से कहा, ‘‘एक लंबे व्यक्ति ने मुझ पर प्रहार किया और फिर मेरे कंधे एवं गर्दन पर मारा. भीड़ ने एकसाथ मुझ पर हमला किया और मुङो पीटा, मुङो गिरा दिया और मेरे सिर को दीवार पर पटका गया. उन सभी ने मुझे अपमानित किया.’’उन्होंने एक डीवीडी भी पेश की जिसमें टीवी फुटेज मौजूद हैं. अगली सुनवाई सात अक्तूबर को होगी.