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खाद्य सुरक्षा पर केरल की चिंताओं पर ध्यान दे यूडीएफ : माकपा

तिरुवनंतपुरम : माकपा ने केरल की यूडीएफ सरकार से आज कहा कि उसे राज्य में 1960 के दशक से मौजूद वैधानिक राशन प्रणाली की रक्षा के लिए केंद्र के साथ नया समझौता करना चाहिए. माकपा के प्रदेश सचिव पिनरई विजयन ने एक बयान में कहा, केंद्र के विधेयक के तहत वे सभी लोग शामिल नहीं […]

तिरुवनंतपुरम : माकपा ने केरल की यूडीएफ सरकार से आज कहा कि उसे राज्य में 1960 के दशक से मौजूद वैधानिक राशन प्रणाली की रक्षा के लिए केंद्र के साथ नया समझौता करना चाहिए.

माकपा के प्रदेश सचिव पिनरई विजयन ने एक बयान में कहा, केंद्र के विधेयक के तहत वे सभी लोग शामिल नहीं होते जो खाद्य सुरक्षा के हकदार हैं. इससे केरल को बड़ा नुकसान हुआ है जहां 1960 के दशक के मध्य से सभी के लिए राशन प्रणाली की व्यवस्था है. इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि राज्य मौजूदा राशन प्रणाली को जारी रखने के लिए नया करार करे. उन्होंने कहा कि यह अफसोसजनक है कि यूडीएफ सरकार हालात की गंभीरता को समझने में असफल रही है.

माकपा नेता ने कहा, केरल खाद्यान्न की कमी से जूझता आया है जिसका वार्षिक चावल उत्पादन केवल 45 दिनों तक लोगों का पेट भरने में सक्षम है और आपूर्ति का प्रबंधन अधिकतर पीडीएस आवंटन के जरिए किया जाता है. उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा संबंधी नए कानून के कारण राज्य के बीपीएल परिवारों को मौजूदा राशन प्रणाली के तहत मिल रहे खाद्यान्न की तुलना में कम मात्रा में अन्न मिलेगा. उन्होंने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि इसी प्रकार इस बात की भी कोई गारंटी नहीं है कि एपीएल परिवारों को मिलने वाला लाभ भी जारी रहेगा या नहीं.

विजयन ने कहा, दरअसल 1965 में वैधानिक राशन प्रणाली पेश होने के बाद से केरल में मौजूद खाद्य सुरक्षा का अस्तित्व लोकसभा में विधेयक पारित होने के साथ ही लगभग समाप्त हो गया है.

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