नयी दिल्ली : बहुचर्चित 2..जी स्पेक्ट्रम के आवंटन और मूल्य निर्धारण से जुड़े मामले की जांच के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में एक मनोनीत सदस्य सहित दो सदस्यों को नियुक्त किए जाने के प्रस्ताव को आज राज्यसभा ने विपक्ष के भारी हंगामे के बीच ध्वनिमत से स्वीकार कर लिया.संसदीय कार्य राज्य मंत्री राजीव शुक्ला ने इस संबंध में एक प्रस्ताव पेश किया.
इस समिति के सदस्य द्रमुक के तिरुचि शिवा का कार्यकाल समाप्त हो गया है वहीं एक और सदस्य कांग्रेस के ईएमएस नचियप्पन ने इस्तीफा दे दिया है. इन दोनों रिक्तियों के स्थान पर नियुक्ति के लिए शुक्ला ने प्रस्ताव पेश किया. इस प्रस्ताव में कांग्रेस के पी भट्टाचार्य और मनोनीत अशोक एस गांगुली को नियुक्त किए जाने का प्रस्ताव है. उनके प्रस्ताव का भाजपा ने भारी विरोध किया. माकपा ने भी इस प्रस्ताव का विरोध किया.
भाजपा के रविशंकर प्रसाद ने प्रस्ताव का विरोध करते हुए कहा कि इस मुद्दे पर उन्होंने पहले भी कहा है कि गुप्त मतदान कराया जाए या विभिन्न दलों के साथ व्यापक विचार विमर्श किया जाए.
माकपा के सीताराम येचुरी ने भी इस मुद्दे पर विभिन्न दलों के नेताओं के साथ विचार विमर्श का सुझाव दिया. शुक्ला ने कहा कि सदन में राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत 10 सदस्य हैं और अधिकतर लोगों ने एक मनोनीत सदस्य की नियुक्ति के प्रस्ताव का समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि सदन सर्वोपरि है और इस संबंध में सदन को ही फैसला करने दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार मत विभाजन के लिए भी तैयार है.
सरकार के अपने रुख पर कायम रहने का विरोध करते हुए भाजपा के सदस्य आसन के पास आ गए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे. उपसभापति पी जे कुरियन ने कहा कि एक बार पहले भी आसन यह मुद्दा और विचार विमर्श के लिए टाल चुका है. उन्होंने कहा कि आसन को अब इस मुद्दे का निपटारा करना है और प्रक्रिया के तहत कदम उठाना होगा.
लेकिन हंगामा कर रहे भाजपा सदस्यों ने उनकी राय को मानने से इंकार कर दिया और हंगामे थमते नहीं देख कुरियन ने बैठक दोपहर 12 बजकर 20 मिनट पर 15 मिनट के लिए स्थगित कर दी.
एक बार के स्थगन के बाद बैठक शुरु होने पर भी भाजपा सदस्यों का हंगामा जारी रहा और वे आसन के समक्ष आकर नारेबाजी करने लगे. हंगामे के बीच ही शुक्ला ने कहा कि उन्होंने इस प्रस्ताव के संबंध में विपक्ष के नेता सहित विभिन्न दलों के साथ विचार विमर्श किया है.
इसके बाद कुरियन ने सदस्यों से इस प्रस्ताव पर संसदीय परंपरा की भांति उनकी सहमति मांगी. इसके बाद उन्होंने प्रस्ताव के ध्वनिमत से पारित होने की घोषणा कर दी. भाजपा सदस्य इसका विरोध करते रहे. इसी दौरान तेदेपा के दो सदस्य वाई एस चौधरी और एस एम रमेश भी आसन के समक्ष आकर एकीकृत आंध्र प्रदेश के पक्ष में नारे लगाने लगे. हंगामे को देखते हुए कुरियन ने करीब 12 बजकर 40 मिनट पर बैठक दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी.