सासाराम/चेनारी : स्वास्थ्य विभाग में सुधार के लिए दावे चाहे कितने भी किया जायें. जैसा कि आम तौर पर सरकार या स्थानीय प्रशासन द्वारा किया जाता रहा है, लेकिन धरातल पर स्थिति आज भी कमोबेश वहीं है, जो दस वर्ष पूर्व हुआ करती थी.
मरीजों के इलाज या उन्हें मिलने
वाली सुविधाओं की बात तो छोड़ ही दें, पेयजल या शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए भी मरीजों को काफी मशक्कत करनी पड़ती है. स्वास्थ्य विभाग की मौजूदा हालत को देखा जाये, तो कहीं से यह नहीं लगता कि पिछड़े, वंचित या हाशिये पर खड़े लोगों के हमदर्द होने होने का दंभ भरने वाली सरकार उनके स्वास्थ्य के प्रति चिंतित है.
नहीं तो क्या कारण है कि तमाम प्रयासों के बावजूद जिले के चिकित्सा केंद्रों और अस्पतालों में हालत बद से बदतर होती जा रही है. स्वास्थ्य कथा के इस अंक में हम चेनारी के चिकित्सा केंद्र का हाल बयां कर रहे हैं जो स्वयं अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. जहां ऐसे प्रभारी पदाधिकारी की पोस्टिंग है, जो केंद्र में तो कभी रहते ही नहीं हैं.
आराम फरमाते हैं कुत्ते
स्वास्थ्य के प्रति लोगों को सचेत करने वाला स्वास्थ्य केंद्र जब स्वयं गंदगी के अंबार के बीच खड़ा हो, तो लोगों के स्वस्थ रखने की कल्पना भी बेकार है. चेनारी चिकित्सा केंद्र के प्रसूति गृह के बगल में हमेशा गंदगी रहता है. जहां इसके दरुगध से जच्च–बच्च दोनों में संक्रमण की संभावना बनी रहती है. आवारा कुत्तों के लिए यह चिकित्सा केंद्र तो जैसे आरामगाह के रूप में प्रचलित हो गया है. जहां दिन में भी कुत्ते केंद्र में आराम करते रहते हैं.
मरीजों को बेड मयस्सर नहीं
अस्पतालों में मरीजों के लिए बेड की व्यवस्था तो है, लेकिन बेड का इस्तेमाल वहां कार्यरत कर्मियों व सुरक्षा प्रहरियों के भोजन करने के लिए होता है. जहां मरीज बिना बेड के जमीन पर इलाज कराने के लिए विवश हैं, वहीं ऑपरेशन के बाद भी मरीजों को बेड आवंटित नहीं किया जाता है.
हल्की बारिश में भी केंद्र में तालाब का नजारा, तो कभी भी देखने को मिल सकता है. वैसे यह केंद्र जलजमाव की समस्या से सालों भर डूबा रहता है. जिसकी सुधि लेने वाला कोई नहीं है. केंद्र में कार्यरत 18 एएनएम ज्यादातर निजी प्रैक्टिस में ही व्यस्त रहती हैं.
आयुष के भरोसे केंद्र
चेनारी चिकित्सा केंद्र आयुष चिकित्सक के सहारे ही चल रहा है. यहां डॉक्टरों के छह पद स्वीकृत हैं, लेकिन पदस्थापित मात्र चार ही है. प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी केंद्र के बजाय पटना में ही ज्यादातर वक्त बिताते हैं.
केंद्र की जिम्मेवारी डॉ लखन लाल सिंह संभालते थे, लेकिन बड्डी कांड में आरोपित होने के बाद स्वास्थ्य केंद्र की हालत और चरमरा गयी है. कुल मिला कर एक चिकित्सक के जो तेलारी में सेवारत थे. आयुष चिकित्सक दिनेश सिंह के चेनारी में पदस्थापन होने के बाद केंद्र की सारी जवाबदेही इन्हीं के ऊपर आ गयी है.
बाहर से लेनी पड़ती है दवा
डॉक्टरों की कमी ङोल रहे चेनारी स्वास्थ्य केंद्र में वर्तमान स्थिति में न तो कोई एमबीबीएस डॉक्टर हैं और न समय से दवाओं का वितरण ही होता है. कहने को तो सरकार 55 प्रकार की दवाएं केंद्रों पर उपलब्ध कराने का दावा करती है, लेकिन यहां पारासिटामोल, सेट्रीजिन, कफ सिरप, फोलिक एसिड जैसे कुछ दवाओं को छोड़ कर अन्य दवाएं उपलब्ध नहीं हैं. विशेषकर ऑपरेशन या अन्य बीमारियों में मरीजों को बाहर से दवा लेना उनकी नियति बन गयी है.
प्रभारी ‘आउट ऑफ कवरेज’
चेनारी चिकित्सा केंद्र के प्रभारी पदाधिकारी डॉ विजय कुमार सिंह केंद्र में कभी दिखते नहीं देते. उनका सरकारी मोबाइल भी डाटा ऑपरेटर रिसीव करते हैं. दो–चार महीनों में एक–दो बार केंद्र पर आते हैं. उनके मोबाइल 9470003651 पर कई बार संपर्क करने पर कोई जवाब नहीं मिल सका. प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी के चेनारी केंद्र से लगातार अनुपस्थित रहने से अस्पताल की हालत और खराब होती जा रही है.