बिहारशरीफ (नालंदा) : श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व जिले में धूमधाम से मनाया जा रहा है. बुधवार की मध्यरात्रि में हिंदुओं के आराध्य, सोलह कलाओं तथा 64 विद्याओं के परंपरागत व उल्लास के साथ मनाया जायेगा. इसे लेकर जिले में कृष्ण मंदिरों को आकर्षक ढंग से सजाया गया है. श्रद्धालु महिलाएं एवं पुरुष जन्मोत्सव के अवसर पर भगवान श्रीकृष्ण का स्वागत करने के लिए तैयार हैं. घर-घर में बाल-लला के जन्मोत्सव की तैयारी पूरी हो चुकी है. स्थानीय गढ़पर स्थित बुंदेलखंड मुहल्ले के श्री बांके बिहारी मंदिर, छोटी मंदिर, बड़ी मंदिर, मोहन बिहारी मंदिर एवं गुफापर स्थित ठाकुरबाड़ी में श्रीकृष्ण जनमाष्टमी धूमधाम से मनायी जा रही है. भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप का शृंगार व पालने का शृंगार किया गया. बुंदेलखंड स्थित मंदिरों में संध्या काल में आरती के बाद उन्हें पालने पर लाया जाता है. भगवान श्रीकृष्ण का श्रृंगार व उनको झूला झुलाने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. महिलाएं मंदिरों में भजन-कीर्तन कर भगवान श्रीकृष्ण को मनाती है. मध्य रात्रि में भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के बाद उनकी आरती उतारी जाती है और प्रसाद का वितरण किया जाता है. कहा जाता है कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की रात को जिसने भी श्रीकृष्ण का ध्यान करते हुए उनका जाप करते हैं, उनकी सभी ईच्छाएं पूरी हो जाती है.
जन्माष्टमी का विशेष महत्व
इस बार श्रीकृष्ण जनमाष्टमी के पर्व पर पड़ने वाला जयंती योग सौभाग्य से प्राप्त होता है. पंडित श्रीकांत शर्मा बताते हें कि रोहिणी नक्षत्र, अष्टमी और बुधवार तीनों के मिलने से एक विशेष योग बना है. खास बात यह है कि इसी दिन गोपाल अष्टमी भी है. जिससे इस दिन का महत्व और अधिक हो जाता है. जन्म-जन्मांतर के पुण्य से ऐसा योग्य प्राप्त होता है. इस जयंती योग के अवसर पर रखा गया उपवास संयोगवश हीं प्राप्त होता है. इस दिन उपवास रखने से मनुष्य के कोटि-कोटि के पाप नष्ट हो जाते हैं.