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पृथ्वी के गर्भ को समझने का मौका सीस्मोलॉजी

कहां से करें कोर्स आइआइटी कानपुर, रुड़की, वेबसाइट :www.iitr.ac.in; www.iitkgp.ac.in बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वेबसाइट :www.bhu.ac.in मुंबई विश्वविद्यालय वेबसाइट :www.mu.ac.in उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद वेबसाइट :www.osmania.ac.in वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, देहरादून वेबसाइट :www.wihg.res.in कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी, हरियाणा वेबसाइट :www.kuk.ac.in अन्ना यूनिवर्सिटी, चेन्नई वेबसाइट :www.annauniv.edu भूकंप विज्ञान का क्षेत्र काफी नया है. इस क्षेत्र ने पिछले कुछ वर्षो […]

कहां से करें कोर्स

आइआइटी कानपुर, रुड़की, वेबसाइट :www.iitr.ac.in; www.iitkgp.ac.in

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वेबसाइट :www.bhu.ac.in

मुंबई विश्वविद्यालय

वेबसाइट :www.mu.ac.in

उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद

वेबसाइट :www.osmania.ac.in

वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, देहरादून

वेबसाइट :www.wihg.res.in

कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी, हरियाणा

वेबसाइट :www.kuk.ac.in

अन्ना यूनिवर्सिटी, चेन्नई

वेबसाइट :www.annauniv.edu

भूकंप विज्ञान का क्षेत्र काफी नया है. इस क्षेत्र ने पिछले कुछ वर्षो में काफी तेजी से प्रगति की है. कई युवा साथी इस क्षेत्र में अपना भाग्य आजमा रहे हैं. यह क्षेत्र केवल आपदा या उसके बाद के लिए नहीं, बल्कि वर्तमान में किसी भी भवन के निर्माणकार्य से पूर्व उसे भूकंपरोधी बनाने के लिए भी कार्य करता है.

क्या है सिस्मोलॉजी

यह भूकंप और भूकंपीय तरंगों से पृथ्वी की अंतरंग अवस्था को समझने का विज्ञान है. यह विज्ञान का नया क्षेत्र है, जिससे पृथ्वी के अंदर की चीजों के बारे में काफी महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई हैं. भूकंप विज्ञान की शुरुआत 1880 के आसपास भूकंपलेखी उपकरण के आविष्कार के साथ हुई. जो विद्यार्थी इस विषय को लेकर पढ़ाई करते हैं, उन्हें अर्थक्वेक इंजीनियर कहा जाता है. अर्थक्वेक इंजीनियरिंग यानी सिस्मोलॉजी के अध्ययन में धरती के भीतर होनेवाले कंपन यानी भूकंप के कारणों के बारे में जाना जाता है. साथ ही, इससे मानवीय जीवन को होनेवाले नुकसान के अलावा जान-माल और पर्यावरण को होनेवाले नुकसान का भी अध्ययन किया जाता है.

भूकंप के कुछ सेकेंड बाद ही आखिर यह कैसे पता चल जाता है कि भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर कितनी थी और इस भूकंप का केंद्र कहां स्थित था. इनकी जानकारी सिस्मोग्राफर की मदद से हो पाती है. भूकंप विज्ञान में केवल उसकी तीव्रता को नहीं मापा जाता. भूकंप आने के पूर्व और बाद की घटनाएं, पर्यावरण में बदलाव के अलावा किस प्रकार के भूकंप का जान-माल पर कैसा असर पड़ता है, इसका अध्ययन इसमें किया जाता है. साथ ही, पृथ्वी के गर्भ में मौजूद खनिजों आदि के बारे में भी जानकारी प्राप्त की जाती है.

योग्यता

भारत में अर्थक्वेक इंजीनियरिंग की शिक्षा पोस्टग्रेजुएट स्तर पर उपलब्ध है, जिसमें छात्र मास्टर ऑफ इंजीनियरिंग (एमइ) / मास्टर ऑफ टेक्नोलॉजी (एमटेक) कर सकते हैं. इन कोर्सो में ग्रेजुएट एप्टीट्यूट टेस्ट इन इंजीनियरिंग (गेट) के माध्यम से प्रवेश ले सकते हैं. इस विषय में पीएचडी भी कर सकते हैं.

चुनौतीपूर्ण है यह क्षेत्र

अगर आप सिस्मोलॉजी के क्षेत्र में जाना चाहते हैं, तो यह भलीभांति समझ लें कि यह क्षेत्र आसान नहीं है. इसमें आप अधिकांश समय व्यस्त ही रहेंगे. हां, अगर आप उपलब्धियां हासिल करना चाहते हैं, तो इस काम में मजा भी बहुत आयेगा. भूकंप से संबंधित सूचनाएं एकत्र करने के बाद प्रयोगशाला में उसका अध्ययन करना और उससे प्राप्त आकड़ों से नयी चीजें सीखना, आपकी दिनचर्या में शामिल हो जायेगा. अर्थक्वेक इंजीनियरिंग या सिस्मोलॉजी में पृथ्वी के अंदर होनेवाली समस्त गतिविधियों पर नजर रखी जाती है. अर्थक्वेक इंजीनियर इन जानकारियों के आधार पर ही भूकंप के आशंकित क्षेत्रों, उसकी तीव्रता, पर्यावरण और जनसंख्या पर उसके प्रभाव आदि का आकलन करता है. इसके अन्य प्रमुख कार्यो में क्षेत्र विशेष और वहां आनेवाले भूकंपों की तीव्रता को ध्यान में रखते हुए इस तरह के भवनों की डिजाइन बनानी होती है, जिससे भूकंप से नुकसान कम हो.

संभावनाएं हैं अपार

सिस्मोलॉजी एक ऐसा विषय है, जिसमें उच्च अध्ययन करनेवाले युवाओं के लिए अपार संभावनाएं हैं. विज्ञान की इस शाखा के तहत पृथ्वी, इसका पर्यावरण, इतिहास, खनिज आदि का अध्ययन किया जाता है. पिछले कुछ वर्षो में इस विषय में अध्ययन करनेवाले लोगों की संख्या तेजी से बढ़ी है. देश-विदेश में खुल रहे भूकंप अध्ययन केंद्रों, शोध संस्थाओं, सर्वे कंपनियों आदि में काम करने के अवसर तो पर्याप्त संख्या में हैं ही, साथ ही यदि इस क्षेत्र में अच्छी योग्यता हासिल कर ली जाये, तो इस विषय को विभिन्न शिक्षण संस्थानों में पढ़ाने का भी अवसर मिल सकता है. विदेशी विश्वविद्यालयों में भी इस विषय के जानकारों की आवश्यकता रहती है. विदेशी शोध संस्थाओं के साथ जुड़ना आय के लिहाज से अच्छा माना जाता है. एक अच्छी जानकारी रखनेवाले अर्थक्वेक इंजीनियर का प्रारंभिक वेतन अमूमन 30 हजार रुपये प्रति माह तक होता है. कंपनी के कद के हिसाब से अन्य सुविधाएं भी मिलती हैं.

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