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उत्तराखंड को सहायता के लिए तमाम संसाधनों का उपयोग करें: प्रणब

देहरादून : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कहा कि भारी बारिश और बाढ़ की विनाश लीला झेलने वाले उत्तराखंड के लोगों की जिंदगी और उम्मीदें फिर से बनाने के लिए सभी संभव संसाधनों का उपयोग किया जाना चाहिए. मुखर्जी ने इस त्रासदी के पीड़ितों के साथ एकजुटता जताते हुए कहा कि मुश्किलों से हमेशा लड़ना […]

देहरादून : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कहा कि भारी बारिश और बाढ़ की विनाश लीला झेलने वाले उत्तराखंड के लोगों की जिंदगी और उम्मीदें फिर से बनाने के लिए सभी संभव संसाधनों का उपयोग किया जाना चाहिए.

मुखर्जी ने इस त्रासदी के पीड़ितों के साथ एकजुटता जताते हुए कहा कि मुश्किलों से हमेशा लड़ना और टिके रहना अहम है. उत्तराखंड के एक दिन के दौरे पर आए राष्ट्रपति ने यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम ऐंड एनर्जी स्टडीज (यूपीईएस) में 11वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘विपत्ति के समय में लोगों को उत्तरजीविता और कायाकल्प की जीवटता को कभी कमजोर नहीं करना चाहिए.’’ मुखर्जी ने रेखांकित किया कि उत्तराखंड हाल में विनाशकारी बाढ़ और भूस्खलन से गुजरा जिससे बेशकीमती इंसानी जानें गईं. राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘संपत्ति के संदर्भ में बहुत से लोगों को भारी नुकसान सहना पड़ा. मैं लोगों की जिंदगी और उम्मीदें फिर से बनाने के लिए सभी संभव संसाधनों की पर्याप्त गोलबंदी का आग्रह करता हूं.’’

मुखर्जी ने कहा, ‘‘अमेरिका, चीन और रुस के बाद भारत विश्व में उर्जा का चौथा सबसे बड़ा उपभोक्ता है. उपभोग के उच्च स्तरों को टिकाने के लिए हमारे उर्जा संसाधन अपर्याप्त हैं.’’

उर्जा गहनता इंगित करता है कि ब्रिटेन, जर्मनी, जापान और अमेरिका जैसे देशों की तुलना में भारत जीडीपी की एक इकाई के उत्पादन के लिए बहुत ज्यादा उर्जा का उपयोग करता है. उर्जा गहनता किसी अर्थव्यवस्था की उर्जा क्षमता का पैमाना है.

मुखर्जी ने कहा, ‘‘लोगों की आवश्यकताओं को पूरा करते हुए उच्च वृद्धि दर हासिल करना हमारे लिए एक चुनौती है. यह ज्यादा उर्जा उत्पादन और ऐसे उपाय तय करने की मांग करती है जो उर्जा सक्षमता को बढ़ावा देते हों. हमें उर्जा के पारंपरिक स्नेतों पर हमारी निर्भरता घटाने के लिए वैकल्पिक उर्जा मॉडलों की तलाश करनी चाहिए.’’

एक दशक पहले स्थापित यूपीईएस देश का पहला विश्वविद्यालय है जहां अहम उर्जा विषयों का अध्ययन किया जाता है. विश्वविद्यालय तेल एवं गैस, विद्युत, बुनियादी ढांचा, इलेक्ट्रानिक्स, लाजिस्टिक्स, सूचना प्रौद्योगिकी और अंतरराष्ट्रीय कारोबार के क्षेत्रों में 52 विशेषीकृत कार्यक्रम चलाता है.

मुखर्जी ने नीति निर्माण पर भी चर्चा की. उन्होंने कहा, ‘‘नीति निर्धारण समस्याएं चिह्नित करने, रुझान उजागर करने, परिदृश्य विकसित करने और नीति विकल्पों की सिफारिश करने के लिए सक्रिय होना चाहिए ताकि संकट से बचा जा सके.’’

राष्ट्रपति ने कहा कि उर्जा के क्षेत्र में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की ज्यादा गहनता जरुरी है और नवोन्मेष के मार्फत क्षमताओं का विकास और प्रणालियों को सुदृढ़ करने के लिए विशेषीकृत जानकारी की जरुरत है.’’ उन्होंने देश भर में अच्छे अकादमिक संस्थानों और विश्वविद्यालयों में अनुसंधान गतिविधियों की कमी पर चिंता जताई.

उन्होंने कहा, ‘‘1933 के बाद किसी विद्वान ने मूलभूत अनुसंधान के लिए कोई नोबेल पुरस्कार नहीं पाया. (देश में) प्रतिभा की कोई कमी नहीं है. आपसे मेरी अपील है कि हम इस कमी को जरुर दूर करें.’’

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